पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल को होने वाले चुनाव में कई सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर है। ये सीट दोनों के लिए प्रतिष्ठा के प्रश्न बने हुए हैं। दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर 1 अप्रैल को मतदान कराए जाने हैं।
दूसरे चरण की 30 सीटों में से 9 सीट पूर्वी मेदिनीपुर जिले की हैं, जबकि बांकुरा जिले की कुल 8 सीट हैं। इसके साथ ही पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 और साउथ परगना की 4 सीट शामिल हैं। 2016 के विधानभा चुनाव में इन सीटों पर टीएमसी ने क्लीन स्वीप किया था। लेकिन इस बार समीकरण बदला हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ममता के किले में सेंध लगाने की तैयारी कर चुकी है। वैसे तो सभी 30 सीटों पर दोनों पार्टियों के साथ ही कांग्रेस व वाम पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर है। लेकिन इनमें से नंदीग्राम और डोबरा दोनों ही पार्टियों के लिए काफी महत्वपू्र्ण हैं।
नंदीग्राम
पश्चिम बंगाल में कराए जा रहे विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सर्वाधिक चर्चित सीट है। इसका कारण यह है कि यहां राजनीति के दो धुरंधरों में आमने-सामने की टक्कर है। इस सीट से पूर्व विधायक सुवेंदु अधिकारी जहां इस बार टीएमसी के बदले भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनावी अखाड़े में उतरे हैं, वहीं उन्हें प्रदेश की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी टक्कर दे रही हैं। इस हालत में यह समझना मुश्किल नहीं है कि इस सीट पर चुनावी महासंग्राम का कितना महत्व है। इस निर्वाचन क्षेत्र का महत्व इसी बात से भी समझा जा सकता है कि यहां अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जानेवाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भाजपा नेता कई बार सभा, रैली और रोड शो कर चुके हैं।
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ममता के लिए सम्मान की बात
सीएम ममता बनर्जी का सम्मान भी यहां दांव पर लगा हुआ है। उनकी चुनौती कभी उनकी ही पार्टी में रहे सुवेंदु अधिकारी से है। इस हालत में वे किसी भी कीमत पर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहती हैं। बता दें कि नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान ही उनके पैर में चोट लगी थी, जिसे उन्होंने विपक्ष का हमला बताया था। हालांकि विपक्ष ने कहा था कि ममता बनर्जी मात्र लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए यह ड्रामा कर रही हैं।
29 मार्च से ममता ने डाला डेरा
ममता बनर्जी के लिए यह सीट कितनी महत्वपू्र्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 29 मार्च से ही यहां डेरा डाल रखा है। उन्होंने घोषणा की है कि वे मतदान होने तक यहीं रहेंगी। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 30 मार्च को यहां रोड शो कर पार्टी के उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी की जीत पक्की करने की कोशिश की है। बता दें कि नंदीग्राम में 35 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इनके मत हार-जीत तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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डोबरा
नंदीग्राम के साथ ही डोबरा विधानसभा सीट पर भी सबकी नजर टिकी हुई है। यहां दो पूर्व आईपीएस अधिकारियों के बीच घमासान है। ये दोनों सीआईडी में एक दूसरे के साथ अपराधियों के खिलाफ काम कर चुके हैं। भाजपा के टिकट पर जहां आईपीएस अधिकारी भारती घोष मैदान में हैं, वहीं टीएणमसी की ओर से हुमायू कबीर मैदान में हैं। भारती 2019 से राजनीति में है। 2019 में उन्होंने घटाला से भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव मे वो हार गए थे। हुमायू कबीर पहली बार राजनीति मे उतरे हैं। वे हुगली कमिश्नरेट से सीपी के साथ ही आईपीएस के पद से भी इस्तीफा देकर टीएमसी में शामिल हुए हैं।
टीएमसी ने उतारे ज्यादातर नए चेहरे
टीएमसी ने ज्यादातर नए चेहरों पर दांव खेला है। टीएमसी ने 30 में से 17 पर अपने नए उम्मीदवार उतारे हैं। टीएमसी ने 2019 में लोकसभा चुनाव में साउथ परगना जिले की सभी सीटों पर बढ़त बनाई थी। इस हालत में पार्टी ने इन सीटों पर एक भी उम्मीदवार नहीं बदला है और 2016 के विधानसभा के सभी उम्मीदवारों को बरकरार रखा है। वहीं पूर्वी मेदिनीपुर तथा पश्चिम मेदिनीपुर जिले की 18 सीटों पर टीएमसी पिछड़ गई थी। इन सीटों पर 18 में से 10 उम्मीदवार बदल डाले हैं।
दूसरे चरण के मतदान की खास बातें
- चार जिलों के 30 सीटों पर मतदान
- कुल 171 उम्मीदवार मैदान में
- 24 प्रतिशत अनुसूचित जाति मतदाता
- पांच प्रतिशत अनुसूचित- जनजाति
- नंदीग्राम में 35 प्रतिशत और बाकी सीटो पर करीब 13 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता