वीर सावरकर ने 100 वर्ष पूर्व जो सपना देखा था, भारत का नवनिर्माण उसी के अनुरूप – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर विक्रम संपत लिखित पुस्तक "सावरकर-एक भूले बिसरे अतीत की गूंज" का विमोचन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों संपन्न हुआ।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का व्यक्तित्व राष्ट्रवाद की भावना और हिंदुत्व की रक्षा की परिकल्पना का दर्शन कराता है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन दर्शन पर लिखे ग्रंथ के विमोचन में मुख्यमंत्री योगी के इसी वैचारिक दृष्टिकोण का दर्शन लोगों ने सुना। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने जो स्वप्न 100 वर्ष पूर्व देखा था, आज भारत का नवनिर्माण उसी स्वप्न के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है। देश में अलगाववाद, आतंकवाद और उग्रवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। वीर सावरकर का स्मरण हताशा और निराशा पराजित करके उत्साह व उमंग का स्फुरण करता है।

काल की आवश्यकता हैं वीर सावरकर
वीर सावरकर के व्यक्तित्व और कृतित्व का आकलन समय की आवश्यकता है, उनकी दृष्टि भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और अक्षुण्णता को बनाए रखने की थी। भारत की सनातन परम्परा और नैतिक मूल्यों के साथ ही मानवता की सुरक्षा कर सकते हैं, विश्व को नई दिशा दे सकते हैं।

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याद किया अंडमान कारागृह का काल
योगी आदित्यनाथ ने कहा, देश को स्वतंत्र कराने के लिए वीर सावरकर अंडमान के सेल्यूलर जेल में वर्षों तक रहे। दो बार उन्हें आजन्म कारावास की सजा हुई। इस बीच वीर सावरकर ने कील काटों से काल कोठरी की दीवारों पर साहित्य लिखा। कभी नाटक, कभी कविता, उपन्यास, इतिहास, आत्मकथा आदि से प्रतिदिन कुछ न कुछ दीवारों पर लिखते, उसे कंठस्थ करते थे और मिटा देते थे। यह सृजन प्रक्रिया निरन्तर दस वर्ष तक चलती रही।

वीर सावरकर प्रेरणा 
योगी कहते हैं, वीर सावरकर के ग्रंथ ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में 1857 की शौर्यगाथा का वर्णन करते हुए वीर सावरकर ने इसे भारतीय स्वाधीनता समर का पहला प्रयास बताया। इस पुस्तक ने अनेक क्रांतिकारियों और युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा दी। वीर सावरकर की प्रेरणा से हजारो युवकों ने क्रांति की मशाल थामी और अंग्रेजों के विरुद्ध भारत के स्वातंत्र्य समर में शामिल हो गए।

10 वर्ष की आयु से स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा
मुख्यमंत्री कहते हैं कि, वीर सावरकर बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी रहने के साथ पत्रकारिता, दर्शन, साहित्य, इतिहास, अस्पृश्यता निवारण, समाज सुधार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 10 वर्ष की आयु से ही भारत को स्वतंत्र कराने की अलख जगाई थी।

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वीर सावरकर भारत के महान सपूत
वीर सावरकर पर लिखी पुस्तक “सावरकर-एक भूले बिसरे अतीत की गूंज” का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर इस पुस्तक के लेखक डॉ.विक्रम संपत ने बताया कि वीर सावरकर भारत के महान सपूत और सच्चे देशभक्त थे। उनके व्यक्तित्व को पुस्तक में समेटना एक कठिन कार्य था। वीर सावरकर की जीवनी तथ्यों और दस्तावेजों के आलोक में पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई है।

विमोचन कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव (सूचना एवं एमएसएमई) नवनीत सहगल, प्रभा खेतान फाउण्डेशन, एहसास महिला संगठन, पेंग्विन रेंडम हाउस के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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