मोदी सरकार के काल में वामपंथी उग्रवाद में आई 70 प्रतिशत कमी! केंद्रीय गृहमंत्री का बड़ा दावा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश में शांति स्थापना के लिए नित्य कार्य करते रहे हैं, पूर्वोत्तर के राज्यों में जनजातीय हिंसा और वामपंथी उग्रवाद को लेकर उन्होंने कई समझौते करवाए, जिनसे समाज के विभिन्न घटक जो पहले खूनखराबा करके एक दूसरे को क्षति पहुंचाते थे, वे समाज की मुख्यधारा में आ गए है।

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केंद्रीय गृहमंत्री ने वामपंथी उग्रवाद को लेकर कई तथ्यात्मक बातें की हैं। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के आठ वर्ष के शासनकाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ वर्ष के शासनकाल को लक्ष्यित किया है। इसमें उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में कांग्रेस शासनकाल के मुकाबले पीएम मोदी के शासनकाल में 70 प्रतिशत की कमी आई है।

जम्मू कश्मीर में अचानक टार्गेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, इसी समय केंद्रीय गृहमंत्री ने वामपंथी उग्रवाद को लेकर एक जानकारी प्रस्तुत की है। वे नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय संस्थान के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसमें उन्होंने केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, देश में योजना आयोग जो अब नीति आयोग हो गया है, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड जैसे संस्थानों ने विकास में अभिन्न योगदान दिया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय जनजातीय रिसर्च संस्थान भी जनजातीय समूहों के विकास में बड़ी भूमिका निभाएगा।

वामपंथी उग्रवाद को लेकर उन्होंने जो रिकॉर्ड प्रस्तुत किये वह इस प्रकार है…

  • गृहमंत्री ने अपनी तुलनात्मक रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि, मोदी सरकार के आठ वर्ष के शासनकाल में 87 सुरक्षा कर्मियों को अपने प्राण गंवाने पड़े है, जबकि कांग्रेस के काल में 304 सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
  • पूर्वोत्तर भारत में कांग्रेस के 10 वर्षों के शासनकाल में 8,700 अवांछित घटनाएं हुई थीं, जो नरेंद्र मोदी के 8 वर्ष के शासनकाल में घटकर 1,700 पर आ गई हैं।
  • अमित शाह ने बताया कि देश में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में भी 70 प्रतिशत की कमी आई है।

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जनजातीय विकास कार्यों पर बल

  • कांग्रेस के शासकाल में वर्ष 2014 में 7 करोड़ रुपए का प्रावधान जनजातीय विकास अनुसंधान के लिए किया गया था। जो मोदी सरकार के शासन काल में वर्ष 2022 में 150 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
  • एकलव्य निवासी स्कूल के बजट को 278 करोड़ रुपए सालाना से बढ़ाकर अब 1,418 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
  • गृहमंत्री ने अपने भाषण में जनजातीय समुदाय की प्रशंसा करते हुए आशा व्यक्त की है कि, मात्र जनजातीय बच्चे ही ओलिंपिक में पदक ला सकते हैं। इसका कारण है कि खेल जनजातीय परंपराओं का एक हिस्सा है। इन प्रतिभाओं को मात्र मार्गदर्शन, कोचिंग, प्रशिक्षण और उचित प्लेटफार्म की आवश्यकता है। जहां अपनी प्रतिभा को ये प्रदर्शित कर सकें।
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