लाखो नौकरी और अर्थव्यवस्था में सुधार… जानें क्या है ‘पीएलआई’ योजना?

भारत को पांच ट्रीलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयत्नशील है। इसके लिए सरकार विभिन्न क्षेत्र के उद्योगों को बढ़ावा दे रही है।

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‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6,238 करोड़ रुपये के बजट-आवंटन के साथ श्वेत वस्तुओं (एयर कंडीशनर तथा एलईडी लाइट) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को मंजूरी दे दी है।

पीएलआई योजना का प्रमुख उद्देश्य क्षेत्र आधारित अक्षमताओं को दूर करके, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था का निर्माण और दक्षता को सुनिश्चित करते हुए भारत में विनिर्माण को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। इसकी रूपरेखा भारत में उपकरणों व कल-पुर्जों के सम्पूर्ण इको-सिस्टम को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। ताकि, भारत को वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जा सके। इस योजना से वैश्विक निवेश आकर्षित करने, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने और निर्यात में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।

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इस योजना के लाभ
पीएलआई योजना से अगले 5 वर्षों के दौरान 7,920 करोड़ रुपये का वृद्धिमान निवेश होगा, 1,68,000 करोड़ रुपये का उत्पादन होगा, 64,400 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का निर्यात होगा, 49,300 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष राजस्व प्राप्ति होगी एवं रोजगार के 4 लाख प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अवसर सृजित होंगे।

ये है योजना
पीएलआई योजना के तहत एयर कंडीशनर तथा एलईडी लाइट के निर्माण से जुड़ी कंपनियों को अगले 5 वर्षों के दौरान भारत में निर्मित वस्तुओं की वृद्धिमान बिक्री पर 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन दिया जायेगा। वांछित क्षेत्रों में वैश्विक निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कल-पुर्जों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की गयी है। योजना के लिए कंपनियों का चयन कल-पुर्जों के निर्माण या उपकरण के हिस्से का निर्माण (सब असेम्बलिंग) को प्रोत्साहन देने के आधार पर किया जायेगा, जिन उपकरणों का वर्त्तमान में भारत में पूरी क्षमता के साथ निर्माण नहीं किया जा रहा है। तैयार वस्तुओं को सिर्फ जोड़ने (असेम्बल) के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा।

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सरकार को आशा है कि यह योजना एसी और एलईडी लाइट उद्योग में उच्च विकास दर हासिल करने, भारत में सहायक कल-पुर्जों के सम्पूर्ण इको-सिस्टम को विकसित करने तथा भारत में विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर की कंपनियों को तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।

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