कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद पर खींचतान के बाद उपमुख्यमंत्री के लिए मचेगा घमासान, जानिये कैसे?

दिल्ली में डीके शिवकुमार के तेवर बदले हुए लग रहे हैं। उन्होंने मीडिया से कहा है कि वे सिद्धारमैया के साथ मुख्यमंत्री पद शेयर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि ये कोई पैतृक संपत्ति नहीं है कि भाई-बहनों के बीच बांटा जाए।

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कर्नाटक में कांग्रेस अपनी पार्टी की जीत का जश्न भी नहीं मना पा रही है। कारण, इस प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है, वहीं इस विवाद को दूर होने से पहले ही उपमुख्यमंत्री पद के लिए भी घमासान होने के संकेत मिल रहे हैं।

दरअस्ल कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ने प्रदेश के मुस्लिम नेताओं की भी उम्मीदें बढ़ा दी हैं। वे इस जीत को मौका समझकर राजनीति के चौके-छक्के लगाना चाहते हैं। सुन्नी उलमा बोर्ड के मुस्लिम नेताओं ने मांग की है कि मुस्लिम समुदाय के विजयी उम्मीदवारों में से एक को कर्नाटक में उपमुख्यमंत्री का पद मिलना चाहिए। उन्होंने पांच मुस्लिम विधायकों के लिए गृह, राजस्व, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण विभागों की भी मांग की है।

वक्फ बोर्ड के प्रमुख शफी सादी का दावा
कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड के प्रमुख शफी सादी ने दावा किया है कि 72 निर्वाचन क्षेत्र केवल मुसलमानों के कारण कांग्रेस के हाथों में आए। चुनाव में कांग्रेस ने 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से नौ ने जीत हासिल की है।

 मुख्यमंत्री पद पर विवाद खत्म होने का इंतजार
हालांकि 14 मई को इस मांग को खुलकर मीडिया से शेयर करने के बाद मुस्लिम समुदाय के नेता शांत हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि वे मुख्यमंत्री के विवाद को दूर होने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद के लिए नाम तय हो जाएगा, वे अपनी मांग मनवाने की दिशा में सक्रिय हो जाएंगे।

अन्य नेता भी बनना चाहते हैं उपमुख्यमंत्री
समझा तो ये भी जा रहा है कि कुछ और कांग्रेस के नेता भी उपमुख्यमंत्री के साथ गृह मंत्री जैसे मंत्री पद पाने की चाहत रखते हैं। भविष्य में वे अपनी मांगों से कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकते हैं।

दिल्ली में मुख्यमंत्री के दोनों दावेदार
मुख्यमंत्री विवाद की बात करें, तो फिलहाल इस पद के लिए कर्नाटक से दिल्ली तक इस विवाद के समाधान के लिए हाई वोल्टेज ड्रामा जारी है। सिद्धारमैया जहां पहले से ही दिल्ली में हैं, वही 16 मई को डीके शिवकुमार भी 16 मई को दिल्ली में पहुंच गए हैं।

फिलहाल दिल्ली में डीके शिवकुमार के तेवर बदले हुए लग रहे हैं। उन्होंने मीडिया से कहा है कि वे सिद्धारमैया के साथ मुख्यमंत्री पद शेयर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि ये कोई पैतृक संपत्ति नहीं है कि भाई-बहनों के बीच बांटा जाए। क्या वे उपमुख्यमंत्री बनना चाहेंगे, इस सवाल पर डीके शिवकुमार ने कहा कि अभी तक इस बारे में कोई बात नहीं हुई है। सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनने पर शुभकामनाएं देने की बात से भी वे मुकर गए औऱ कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है।

दिल्ली दौरा कर दिया था रद्द
इससे पहले 15 मई को डीके शिवकुमार ने दिल्ली का दौरा अचानक रद्द कर दिया था, हालांकि इसके लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया था। उन्होंने अपने पेट की बीमारी के कारण दिल्ली यात्रा टालने का दावा किया था।

सिद्धारमैया को दी शुभकामनाएं
यह पूछे जाने पर कि अगर उनके कदम को विद्रोह के रूप में देखा जाता है, तो  शिवकुमार ने कहा था, “मैं ब्लैकमेल नहीं करूंगा, मैं ऐसे लोगों में से नहीं हूं। मेरे पास दिमाग और आत्मसम्मान है। मैं बच्चा नही हूं। मैं स्थिति को समझता हूं। मैं ट्रैप में नहीं फंसूंगा।” सिद्धारमैया के इस दावे का कि उनके पास विधायकों का समर्थन है, शिवकुमार ने कहा, “मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।”

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सिध्दारमैया का पलड़ा भारी
शिवकुमार को पार्टी के रणनीतिकार और संकटमोचक के रूप में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है, श्री सिद्धारमैया, पूर्व मुख्यमंत्री, राज्य के सबसे बड़े जन नेताओं में से एक हैं। हालांकि, शिवकुमार से संबंधित भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच की जा रही है। इसके विपरीत सिद्धारमैया की छवि साफ है। 75 वर्षीय इस नेता ने पार्टी नेतृत्व को भेजे संदेश में यह भी कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा।

विभिन्न पार्टियों की स्थिति
13 मई 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। कांग्रेस 224 विधानसभा सीटों में से 135 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सत्ता में लौटी है। बीजेपी ने 66 सीटें जीतीं और जेडी (एस) ने 19 सीटों पर कब्जा किया। तीन सीटों पर अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।

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