उत्तराखण्ड : देवभूमि में ‘तीरथ’ राज!

उत्तराखण्ड का राजनीतिक संकट समाप्त हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद राज्य में पशोपेश की परिस्थिति खड़ी हो गई थी।

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तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री की शपथ ले ली है। देहरादून में हुई भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल की बैठक में सर्वसहमति से ये निर्णय हुआ। इस संदर्भ की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर कई नेताओं के नामों पर कयास लगाया जा रहा था। इस संदर्भ में उत्तराखण्ड के सभी सांसदों को भी प्रदेश में वापस बुलाया गया था। सभी नेताओं की एक बैठक देहरादून में संपन्न हुई। जिसमें तीरथ सिंह रावत के नाम पर सहमति बनीं।

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इनके नामों की भी थी चर्चा
राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में कई नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। जिसमें उच्च शिक्षण मंत्री धनसिंह रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महामंत्री सुरेश भट्ट, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम चर्चा में था।

कौन हैं तीरथ सिंह रावत
राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभालने जा रहे तीरथ सिंह रावत पौड़ी-गढ़वाल संसदीय सीट से सांसद हैं। उनकी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संलग्न रही है, छात्र जीवन से ही राजनीति की ओर रुझान रहा है। उनकी छवि जमीनीस्तर के नेता के रूप में रही है।

वे मूल रूप से कल्जीखाल ब्लॉक के सीरों गांव के मूल निवासी हैं। उनका राजनीतिक जीवन काफी संघर्षमय रहा है। 1983 में 20 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक बन गए थे। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन में उन्हें दो माह तक कारागृह में रहना पड़ा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से अलग नए राज्य उत्तराखण्ड के निर्माण आंदोलन में भी वे सक्रिय थे।

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भाजपा का फिर संघम् शरणम् गच्छामि
भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा शरणस्थली रही है। उत्तराखण्ड में सरकार को चार वर्ष बीत चुके हैं। अगले वर्ष चुनाव होने हैं। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में चल रही सरकार के प्रति एंटी इन्कमबेन्सी पनप रही थी। जिसको लेकर विधायकों में भी असंतोष था। इसको ध्यान में लेते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस्तीफा देने के लिए आदेश दिया।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद अगला मुख्यमंत्री ही अब अगले वर्ष होनेवाले विधानसभा चुनाव में भी नेतृत्व करेगा। ऐसे में तीरथ सिंह रावत का नाम सामने आया है। पार्टी नेतृत्व ने संघ के प्रचारक रहे तीरथ सिंह रावत पर मुहर लगा दी और एक बार फिर भाजपा ‘संघम् शरणम् गच्छामि’ की भूमिका में आ गई।

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