महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है।
इससे पहले 5 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा समुदाय को महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए 16 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया था। उसके बाद 13 मई को केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि राज्यों को आरक्षण कानून बनाने का अधिकार है। अब न्यायालय ने केंद्र सरकार की इस याचिका को भी खारिज कर दिया है। इसके बाद मराठा आरक्षण का मुद्दा और जटिल हो गया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में ये कहा था
सर्वोच्च न्यायालय ने 5 मई को सुनाए गए अपने फैसले में कहा था कि मराठा समुदाय के लोगों को उच्च शिक्षा और नौकरियों में दिया गया आरक्षण, आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत का उल्लंघन है, इसलिए यह असंवैधानिक है। इस टिप्पणी के साथ ही न्यायालय ने मराठा आरक्षण को रद्द करने का फैसला सुना दिया था।
केंद्र ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा थाः
केंद्र सरकार ने 13 मई को इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर कर मराठा आरक्षण को लेकर दिए गए फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय से पुनर्विचार करने की मांग की थी। इस याचिका में केंद्र ने 102 वें संविधान संशोधन अधिनियम को लेकर पांच सदस्यीय संविधान पीठ की व्याख्या से असहमति जताई थी। केंद्र ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। उसने अपनी याचिका में कहा था कि संविधान में 102वें संशोधन से राज्य सरकार को सामाजिक और आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के लिए कानून बनाने का अधिकार खत्म नहीं हो जाता।
‘केंद्र और राज्य सरकार को बैठकर निर्णय लेना चाहिए’
केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने पर मराठा आरक्षण को लेकर न्यायायल में केस लड़ रहे वरिष्ठ वकील विनोद पाटील ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई है। इसलिए अब मराठा आरक्षण के लिए केंद्र को कानून बनाना चाहिए। राज्य सरकार और केंद्र को एक साथ बैठना चाहिए। हमें बस न्याय चाहिए। अब राज्य को केंद्र के साथ मिल-बैठकर फैसला लेना चाहिए।
‘नहीं होनी चाहिए राजनीति’
इस बारे में अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण से विचार किया। उसके बाद केंद्र की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। अब राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। साथ ही राज्य में मराठा नेताओं को भी अब राजनीति नहीं करनी चाहिए।
‘अब हम सड़कों पर उतरेंगे’
सर्वोच्च न्यायालय के इस रुख पर मराठा समन्वयक अबासाहेब पाटील ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मराठा समुदाय को धोखा दे रही है। अब आंदोलन अपरिहार्य है। अब हम सड़कों पर उतरेंगे। राज्य में 48 सांसद हैं। उनकी एक जिम्मेदारी है। अब उन्हें पीएम मोदी से मिलना चाहिए। राजनीतिक नेता सिर्फ गुमराह कर रहे हैं। वे मराठों को आरक्षण नहीं देना चाहते।