गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने किया राष्ट्र को संबोधित, कही ये बात!

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि हमारी सभ्यता प्राचीन है परन्तु हमारा यह गणतंत्र नवीन है। राष्ट्र निर्माण हमारे लिए निरंतर चलने वाला एक अभियान है।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि कोरोना महामारी जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी भारत ने दृढ़ संकल्प शक्ति का परिचय दिया है। सके कारण देश की अर्थव्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है तथा देश आज भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि हमारी सभ्यता प्राचीन है परन्तु हमारा यह गणतंत्र नवीन है। राष्ट्र निर्माण हमारे लिए निरंतर चलने वाला एक अभियान है। जैसा एक परिवार में होता है, वैसे ही एक राष्ट्र में भी होता है कि एक पीढ़ी अगली पीढ़ी का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करती है।

  • उन्होंने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है। हमारी अर्थव्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है। यह पिछले वर्ष शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को भी दर्शाता है। सभी आर्थिक क्षेत्रों में सुधार लाने और आवश्यकता-अनुसार सहायता प्रदान करने के लिए सरकार निरंतर सक्रिय रही है। इस प्रभावशाली आर्थिक प्रदर्शन के पीछे कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों में हो रहे बदलावों का प्रमुख योगदान है। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश के किसान, विशेषकर छोटी जोत वाले युवा किसान प्राकृतिक खेती को उत्साहपूर्वक अपना रहे हैं।
  • देश में रोजगार के अवसरों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को रोजगार देने तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में छोटे और मझोले उद्यमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे नवाचार से प्रेरित युवा उद्यमियों ने स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम का प्रभावी उपयोग करते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश में विकसित, विशाल और सुरक्षित डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म की सफलता का एक उदाहरण यह है कि हर महीने करोड़ों की संख्या में डिजिटल लेन-देन हो रहा है।
  • देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश के मानव संसाधन का भरपूर फायदा उठाने के लिये पारंपरिक जीवन-मूल्यों एवं आधुनिक कौशल के आदर्श संगम से युक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये सरकार ने समुचित वातावरण उपलब्ध कराया है। यह प्रसन्नता की बात है कि विश्व की अग्रणी 50 नवाचार आधारित अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने अपना स्थान बना लिया है। इस अर्थव्यवस्था में व्यापक समावेश के साथ ही योग्यता को भी बढ़ावा देने का सामर्थ्य है।
  • कोरोना महामारी के संकट और इसका सामना करने में देशवासियों के अदम्य साहस और प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अनगिनत परिवार, भयानक विपदा के दौर से गुजरे हैं। हमारी सामूहिक पीड़ा को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं लेकिन एकमात्र सांत्वना इस बात की है कि बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकी है। महामारी का प्रभाव अब भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है, अतः हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में तनिक भी ढील नहीं देनी चाहिए। हमने अब तक जो सावधानियां बरती है, उन्हें जारी रखना है। यह राष्ट्र-धर्म हमें तब तक निभाना ही है, जब तक यह संकट दूर नहीं हो जाता।
  • राष्ट्र निर्माण में गांव और कस्बों के लोगों के द्वारा अपने स्तर पर शुरू किये गये उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे स्पष्ट है कि एक नया भारत उभर रहा है- सशक्त भारत और संवेदनशील भारत। उन्होंने हरियाणा के एक गांव में ग्रामीणों द्वारा आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस उदाहरण से प्रेरणा लेकर अन्य सक्षम देशवासी भी अपने-अपने गांव एवं नगर के विकास के लिए योगदान देंगे।
  • राष्ट्रपति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य सैन्यकर्मियों के हेलीकॉप्टर हादसे में निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने अपने सबसे बहादुर कमांडरों में से एक को खो दिया है। उन्होंने देश की रक्षा में लगे हुए सैन्यकर्मियों की सराहना करते हुए कहा कि आज, हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हिमालय की असहनीय ठंड में और रेगिस्तान की भीषण गर्मी में अपने परिवार से दूर वे मातृभूमि की रक्षा में तत्पर रहते हैं। हमारे सशस्त्र बल तथा पुलिसकर्मी देश की सीमाओं की रक्षा करने तथा आंतरिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए रात-दिन चौकसी रखते हैं ताकि अन्य सभी देशवासी चैन की नींद सो सकें।
  • उन्होंने राष्ट्र निर्माण में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि देशप्रेम की भावना देशवासियों की कर्तव्य-निष्ठा को और मजबूत बनाती है। चाहे आप डॉक्टर हों या वकील, दुकानदार हों या ऑफिस-वर्कर, सफाई कर्मचारी हों या मजदूर, अपने कर्तव्य का निर्वहन निष्ठा व कुशलता से करना देश के लिए आपका प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण योगदान है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण रहा है। हमारी बेटियों ने परंपरागत सीमाओं को पार किया है और अब नए क्षेत्रों में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की सुविधा आरंभ हो गई है। साथ ही, सैनिक स्कूलों तथा सुप्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस एकेडमी से महिलाओं के आने का मार्ग प्रशस्त होने से सेनाओं की प्रतिभा में इजाफा हुआ है तथा हमारे सशस्त्र बलों में महिला-पुरुष अनुपात बेहतर हुआ है।
  • देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत आज बेहतर स्थिति में है। 21वीं सदी को जलवायु परिवर्तन के युग के रूप में देखा जा रहा है और भारत ने अक्षय ऊर्जा के लिए अपने साहसिक और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ विश्व-मंच पर नेतृत्व की स्थिति बनाई है। निजी स्तर पर, हम में से प्रत्येक व्यक्ति गांधीजी की सलाह के अनुरूप अपने आसपास के परिवेश को सुधारने में अपना योगदान कर सकता है। भारत ने सदैव समस्त विश्व को एक परिवार ही समझा है। उन्हें विश्वास है कि विश्व बंधुत्व की इसी भावना के साथ हमारा देश और समस्त विश्व समुदाय और भी अधिक समरस तथा समृद्ध भविष्य की ओर आगे बढ़ेंगे।
  • राष्ट्रपति ने संविधान निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान में मूलभूत अधिकारों और नागरिकों के कर्तव्यों को बुनियादी महत्व दिया गया है। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संविधान में उल्लेखित मूलभूत कर्तव्यों का नागरिकों के द्वारा पालन करने से मूलभूत अधिकारों के लिये समुचित वातावरण बनता है।
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