यह तथ्य कि राजनीति (Politics) में कोई भी दरवाजा हमेशा के लिए बंद नहीं होता, वर्तमान में शिवसेना (Shiv Sena) (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (Maharashtra Navnirman Sena) के बीच संभावित गठबंधन वार्ता से स्पष्ट है। आगामी विधानसभा चुनावों (Upcoming Assembly Elections) के मद्देनजर इस बात पर काफी चर्चा हो रही है कि क्या राज ठाकरे (Raj Thackeray) और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बीच राजनीतिक ‘पुनर्मिलन’ होगा।
पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना विधायक अनिल परब ने स्पष्ट किया कि, “उद्धव ठाकरे पहले ही खुले तौर पर अपना रुख व्यक्त कर चुके हैं। वह सभी विवादों को अलग रखकर एक साथ आने के लिए तैयार हैं। अब फैसला राज ठाकरे को करना है!”
परब ने आगे कहा, “शिवसेना यूबीटी ने कभी भी बातचीत के दरवाज़े बंद नहीं किए हैं। महाराष्ट्र की जनता भी चाहती है कि ठाकरे बंधु फिर से साथ आएं। हम चर्चा के लिए सकारात्मक हैं।”
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राजनीतिक रुख के केंद्र में ‘महाराष्ट्र के हित का फैसला’
अनिल परब ने सीधे राज ठाकरे को संबोधित करते हुए कहा, “आपको तय करना है कि आप उद्धवजी से हाथ मिलाएंगे या नहीं। फैसला आपके हाथ में है।” उन्होंने कहा कि अगर दोनों नेता मिलेंगे तो वे अंतिम निर्णय लेंगे और पार्टी उसी के अनुसार आगे बढ़ेगी।
मुंबई का राजनीतिक गणित बदल गया
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि, “मुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले ठाकरे गुट से शिंदे गुट की ओर जाने वाले पूर्व नगरसेवकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है।” इससे मुंबई में यूबीटी समूह के कमजोर होने की तस्वीर साफ हो गई है और कहा जा रहा है कि इसी कारण मनसे को साथ लाने की कवायदें तेज हो गई हैं।
‘शिवसेना-मनसे’ गठबंधन: सपना या हकीकत?
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक साज़िशें और भी जटिल होती जा रही हैं। हालांकि, दोनों पक्ष एक साथ आने के लिए तैयार हैं, लेकिन राज ठाकरे की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या ठाकरे बंधु फिर साथ आएंगे?
हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) गुट के भीतर स्पष्ट इच्छाशक्ति दिखाई दे रही है, लेकिन केवल समय ही बताएगा कि ‘ठाकरे बनाम ठाकरे’ संघर्ष कब और कैसे ‘ठाकरे के साथ ठाकरे’ में बदल जाएगा।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, “यदि यह गठबंधन हुआ तो मुंबई सहित महाराष्ट्र की राजनीति में भूकंप जैसा झटका लग सकता है!” राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है… लेकिन सवाल यह है कि ‘राज’ किसका दिमाग तय करेगा?
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