क्यों भारत से अच्छे संबंध रखना चाहता है तालिबान! जानने के लिए पढ़ें यह खबर

भारत ने फिलहाल 31 अगस्त को तालिबान से औपचारिक बातचीत शुरू कर दी है, लेकिन उसने सिर्फ तात्कालिक मुद्दों पर ही बात की है।

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने ज्यादातर मामलों में चुप्पी साध रखी है, हालांकि वहां की गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखने की बात देश के मंत्री कहते रहे हैं। इस बीच अफगानिस्तान भारत से अपने संबंधों को लेकर काफी उत्साहित और आशान्वित दिख रहा है। तालिबानी नेता कई बार कह चुके हैं कि वे भारत से अच्छे रिश्ते रखना चाहतें हैं और भारत से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है।

कई कारणों से तालिबान भारत के साथ अच्छे संबंध का पक्षधर है। अफगानिस्तान को मालूम है कि भारत एक शांति प्रिय देश है और यह किसी देश को अपनी तरफ से किसी भी तरह के नुकसान नहीं उठाने की अपनी नीति का बहुत ही प्रतिबद्धता से पालन करता है। इसलिए भारत से उसे किसी तरह के नुकसान नहीं दिख रहा है, जबकि भारत जैसे विशाल बाजार वाले देश से उसे व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्ते बनाने में लाभ ही लाभ नजर आ रहा है। इसलिए वह भारत की चिंताओं को दूर करने का प्रयास कर रहा है। वह कई बार कह चुका है कि भारत अफगानिस्तान में जारी अपनी योजनाओं पर काम जारी रख सकता है। इसके साथ ही वह वादा कर रहा है कि तालिबान अपनी जमीन को किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।

जानते हैं आखिर तालिबान भारत से क्यों अच्छे संबंध रखना चाहता हैः
– भारत इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण देश है। इसलिए भारत से दुश्मनी ठीक नहीं है
– भारत अफगानिस्तान के विकास का पक्षधर है और कई उसने वहां कई योजनाओं को पूरा किया है।
– अभी कई योजनाएं आधी-अधूरी अवस्था में हैं तो कई योजनाएं शुरू ही नहीं हुई हैं।
– इन योजनाओं से अफगानिस्तान का विकास संभव हो सकेगा।
– अफगानिस्तान के सूखे फल( ड्राई फ्रूट्स) का सबसे बड़ा खरीदार भारत है।
– भारत से दुश्मनी होने पर उसके ड्राई फ्रूट्स को उचित दाम मिलने में मुश्किलें आ सकती हैं।
– भारत से पाकिस्तान के जरिए व्यापार संभव है।
– पाकिस्तान के इनकार करने की हालत में एयर कॉरिडोर का रास्ता खुला है।

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भारत को भरोसा नहीं
भारत ने फिलहाल 31 अगस्त को तालिबान से औपचारिक बातचीत शुरू कर दी है, लेकिन उसने सिर्फ तात्कालिक मुद्दों पर ही तालिबान से बात की है। उसमें अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी प्रमुख है। तालिबान के कई नेता भले ही भारत से अच्छे संबंध की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उनकी बातों पर अब भी विश्वास करना मुश्किल है। तालिबान के कई नेता हैं और उनकी अलग-अलग राय है। उनके बयानों से यह स्पष्ट भी होता है। भारत इस बात को अच्छी तरह समझ रहा है। इसलिए वह तालिबान के साथ रिश्तों पर वेड एंड वॉच की पॉलिसी अपना रहा है।

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