तालिबान सरकार बनाने के लिए तैयार! इनके हाथों में होगी सत्ता की कमान

अफगानिस्तान सूखे से जूझ रहा है और इस संकट के कारण करीब 240000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के दो हफ्ते बाद तालिबान अब सरकार बनाने की ओर बढ़ रहा है। 4 सितंबर को तालिबान की सरकार का गठन होगा। पहले 3 सितंबर को नमाज के बाद तालिबान की सरकार बनने की बात कही जा रही थी, लेकिन बाद में इसे 4 सितंबर कर दिया गया। 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। दशकों के युद्ध के बाद देश में शांति और सुरक्षा बहाल करने का वादा करते हुए तालिबान ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद जीत की घोषणा की।

अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से पूरे देश पर कब्जा जमाने वाला तालिबान फिलहाल देश को चलाने की तैयारी में है। अफगानिस्तान वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और सरकार पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर करेगी।

राष्ट्रपति भवन में समारोह की तैयारी
अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर 2 सितंबर को एलान किया गया। तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिब्बातुल्ला अखुंदजादा सरकार के मुखिया होंगे। तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर के पुत्र मुल्ला याकूब, सह संस्थापक अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी को भी सरकार में शामिल किया जा सकता है।

इन समस्याओं से जूझ रहा है अफगानिस्तान
अफगानिस्तान सूखे से जूझ रहा है और इस संकट के कारण करीब 240000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं और निवेशकों की नजर में नई सरकार की वैधता अर्थव्यवस्था के लिए अहम होगी। इस बीच तालिबान ने देश में फंसे विदेशी नागरिकों को सुरक्षित निकलने देने का वादा किया है। लेकिन काबुल हवाईअड्डा अभी भी बंद है और बड़ी संख्या में लोग पड़ोसी देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

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फ्रेंड्स ऑफ अफगानिस्तान फोरम की अपील
अफगानिस्तान की घटनाओं का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह अपील करते हुए फ्रेंड्स ऑफ अफगानिस्तान फोरम ने सरकार से मतदाताओं के धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए देश में किसी भी राजनीतिक दल के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया है। साथ ही उसने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया शुरू करके जल्द से जल्द लोकतांत्रिक तरीके से एक राजनीतिक सरकार की स्थापना की जानी चाहिए। इसके लिए किसी भी देश को सामूहिक प्रयास नहीं करना चाहिए और किसी भे देश को अलग-थलग किए बिना एक व्यापक नीति के माध्यम से योगदान देना चाहिए। फोरम ने कहा कि वहां की जमीन से किसी भी देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियां नहीं की चलाई जानी चाहिए और न ही उनका समर्थन किया जाना चाहिए।

इनकी सुरक्षा की अपील
अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए चीन, पाकिस्तान और ईरान समेत सभी देशों को पहल करनी चाहिए। किसी भी राजनीतिक दल, विचारधारा, धर्म और हिंदुओं, सिखों तथा अन्य अल्पसंख्यकों, महिलाओं और उनके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। जिन्हें देश छोड़ना है, उनके साथ भी सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए सभी देशों को तालिबान के साथ बातचीत करने का तरीका खोजना चाहिए।

भारत ने शुरू की है बातचीत
बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में दोहा में तालिबान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की है। इसी तरह, फोरम ने चर्चा प्रक्रिया को जारी रखने और अफगानिस्तान में भारतीयों और अन्य नागरिकों को सुरक्षा संकट से बाहर निकालने का रास्ता खोजने का आह्वान किया।

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