Surrender Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना की थी। ऑपरेशन सिंदूर की बात करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए नरेंद्र, सरेंडर जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। उसके बाद अब भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी को कड़ा जवाब दे रही है। भाजपा नेता और सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी के बयान पर करारा जवाब दिया है। उन्होंने अपने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके कांग्रेस नेताओं की पोल खोल दी है।
डॉ. निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी से जवाब मांगते हुए कई दावे किए हैं। उन्होंने गांधी परिवार के फैसले पर कई सवालिया निशान खड़े किए हैं। डॉ. दुबे ने अमेरिकी गोपनीय दस्तावेजों के सबूत दिए। इसके मुताबिक दुबे ने सवाल उठाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पाकिस्तानी नेता जनरल जिया-उल-हक और प्रधानमंत्री मोहम्मद खान जुनेजो से मुलाकात क्यों की। दुबे ने कहा कि यह मुलाकात अमेरिकी दबाव में सरेंडर थी।
सरेंडर गांधी
अपने दिल से जानिए पराए दिल का हाल
अमेरिका के गोपनीय दस्तावेज़ों के अनुसार
1. जब एयर इंडिया का कनाडा जाने वाला विमान 1985 में पाकिस्तान के कहने पर मार गिराया गया जिसमें 329 लोगों की मौत हुई तथा 1986 में मुम्बई से अमेरिका जाने वाला विमान पैन एम करांची में पाकिस्तानी… pic.twitter.com/LjuM8kHTe1— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 4, 2025
उनके मुताबिक, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिसंबर 1985 में दिल्ली में जिया से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में उन्होंने एक-दूसरे की परमाणु हथियारों पर हमला न करने पर सहमति जताई थी। 1986 में जुनेजो के साथ अगली मुलाकात 1988 के भारत-पाकिस्तान परमाणु समझौते के हिस्से के रूप में सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। साथ ही, दस्तावेज में कहा गया है कि भारत अविश्वास के कारण भाग लेने से हिचक रहा था, जिसमें पंजाब में सिख असंतुष्टों के साथ पाकिस्तान की मिलीभगत के सबूतों का हवाला दिया गया था।
न्यूक्लियर डील भी राजीव गांधी जी ने 17 दिसंबर 1985 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया के साथ अमेरिका के आगे अपने देश के आन बान और शान को गिरवी रखकर आत्मसमर्पण कर किया था,दस्तावेज pic.twitter.com/CgR0LlM7YJ
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 4, 2025
भले ही शिमला समझौता महत्वपूर्ण नहीं था, लेकिन क्या तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सुपर कंप्यूटर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के रूप में पाकिस्तान के सामने घुटने टेक दिए थे? साथ ही, ड्रग तस्करी पर पाकिस्तान-भारत-अमेरिका प्रतिनिधियों की बैठक को देश के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप माना जाना चाहिए या नहीं? इस पत्र में अमेरिका ने पाकिस्तान के नेतृत्व के लिए पैसे की भी बात की है, तो क्या भारत ने भी पैसे के लिए भिखारियों की तरह आत्मसमर्पण कर दिया? भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने अब कई सवाल उठाए हैं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और पाकिस्तानी फील्ड मार्शल अयूब खान के बीच हुए पत्राचार का हवाला देते हुए निशिकांत दुबे ने नया सवाल उठाया है। भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू पर निशाना साधते हुए डॉ. दुबे ने कहा कि 15 नवंबर 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखा गया एक अवर्गीकृत पत्र साझा किया गया है। नेहरू ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल अयूब खान को लिखे अपने पत्र में अमेरिका से सैन्य सहायता मांगी थी। नेहरू ने कहा था कि हमारे बीच चाहे जो भी मतभेद हों, इस उपमहाद्वीप में स्थिरता और शांति के लिए बाधा हमारे लिए साझा चिंता का विषय है। भाजपा नेता दुबे ने आरोप लगाया है कि अमेरिका द्वारा इस पत्र को पाकिस्तान के साथ साझा करने से भारत की कमजोरी उजागर हुई है।
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