स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने से सर्वोच्च न्यायालय का इनकार! अब क्या करेगी उद्धव सरकार?

सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया है। उसके बाद, राज्य चुनाव आयोग ने विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में कुछ जिला परिषदों और पंचायत समितियों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी।

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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद, राज्य चुनाव आयोग ने राज्य में स्थानीय निकायों के ओबीसी की सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की थी। लेकिन, राज्य सरकार ने कोरोना के कारणों का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित करने की की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 6 जुलाई को न्यायालय ने इस मामले में कोई भी फैसला देने से इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने इसके लिए सरकार को राज्य चुनाव आयोग के पास जाने का आदेश दिया।

यह है मामला
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया है। उसके बाद, राज्य चुनाव आयोग ने विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में कुछ जिला परिषदों और पंचायत समितियों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने चुनाव की अवधि छह महीने बढ़ाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले में राज्य चुनाव आयोग को फैसला करना है।

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राज्य सरकार को मिल सकता है समय
राज्य सरकार ने कोरोना की स्थिति और डेल्टा प्लस वेरिएंट के संभावित खतरे को देखते हुए चुनाव स्थगित करने की मांग की थी। वैसे, राज्य चुनाव आयोग द्वारा इस संबंध में निर्णय लेने के सर्वोच्च आदेश के बाद सरकार को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर आगे की कार्रवाई के लिए कुछ समय मिलने की संभावना है। चुनाव स्थगित करना जरूरी था, लेकिन अब सभी की निगाह इस बात पर है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयोग क्या फैसला सुनाता है?

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