सियासत की थाली सिद्धिविनायक का खजाना हो खाली

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मुंबई। देश के धार्मिक स्थलों पर राजनातिक पार्टियों के आधिपत्य का एक नमूना कथित रुप से सामने आया है। मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट द्वारा शिवसेना के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे शिव भोजन योजना को पूरा करने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा 5 करोड़ रुपए महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार की तिजोरी में ट्रांसफर किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इसके साथ ट्रस्ट की ओर से 5 करोड़ अलग से कोविड-19 से जंग के लिए सरकार को दिए गए थे।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका के जवाब में, 18 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार और सिद्धिविनायक ट्रस्ट को एक नोटिस जारी किया है। हालांकि कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट की ओर से महाराष्ट्र सरकार को दिये जानेवाले फंड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
जनहित याचिका में क्या है?
खुद को गणेश भक्त बतानेवाले लीला रंगा नामक एक व्यक्ति ने इस बारे में एक जनहित याकिता दायर कर श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट( प्रभादेवी) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत फंड ट्रांसफर को अवैध बताया है। उनके वकील प्रदीप संचेती ने कोर्ट को बताया कि ट्रस्ट की ओर से कोविड-19 से जंग और शिव भोजन योजना के लिए सरकार को क्रमशः 5-5 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
क्या कहता है कानून?
संचेती ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि ट्रस्ट के धन का उपयोग सिर्फ मंदिर के रखरखाव, प्रबंधन और प्रशासनिक कार्यों पर ही किया जा सकता है। इसके तहत श्रद्धालुओं के लिए रेस्ट हाउस, स्कूल, अस्पताल के लिए भी पैसे का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कानून ट्रस्ट द्वारा सरकार को फंड ट्रांसफर की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कोर्ट से कहा कि फंड ट्रांसफर को रोकने के लिए अंतरिम आदेश दिया जाए।
कोर्ट ने सरकार और ट्रस्ट को जारी किया नोटिस
कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि ट्रस्ट की ओर से अभी तक कोई पेश नहीं हुआ है। वह सरकार को ट्रस्ट का पैसा वापस करने के लिए तभी कह सकता है, जब अंतरिम सुनवाई के बाद यह साबित हो जाए कि फंड ट्रांसफर अवैध था। कोर्ट ने राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट को चार हफ्ते के भीतर रंगा की याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जबकि याचिकाकर्ताओं को अपना जवाब फिर से दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।
याचिका में यह भी बताया गया है कि मंदिर के प्रधान ट्रस्टी शिवसेना के नेता आदेश बांदेकर हैं, जिन्हें ठाकरे परिवार का करीबी माना जाता है।
शहीदों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाता है ट्रस्ट
2019 में 20वां करगिल विजय दिवस के अवसर पर भी इस मंदिर ट्रस्ट की ओर से महाराष्ट्र के शहीदों के बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च वहन करने का ऐलान किया गया था। ट्रस्ट ने बच्चों की केजी से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की शिक्षा का पूरा खर्च वहन करने का ऐलान किया था। कहा गया था कि ये शहीदों के बच्चों को गणपति बाप्पा का आशीर्वाद होगा।

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