इनके आने से बढ़ी बीजेपी की ताकत!

19 दिसंबर को सुभेंदु अधिकारी समेत 10 टीएमसी विधायक, एक सांसद और एक पूर्व सांसद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इनके आने से वेस्ट बंगाल में बीजेपी की ताकत बढ़ गई है। वहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है।

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पश्चिम बंगाल में 2021 में होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी में भगदड़ मची हुई है। 19 दिसंबर को सुभेंदु अधिकारी समेत 10 टीएमसी विधायक, एक सांसद और एक पूर्व सांसद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इनके आने से वेस्ट बंगाल में बीजेपी की ताकत बढ़ गई है। वहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है।

 जानते हैं कौन नेता किस पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए।

शुभेंदु अधिकारी
20 साल की उम्र में शुभेंदु अधिकारी कांग्रेस छात्र परिषद नेता के रुप में 1996 में मिदनापुर में कोऑपरेटिव आंदोलन में शामिल हुए। तीन साल पश्चात वे टीएमसी से जुड गए। नंदीग्राम आंदोलन के दौरान ममता बनर्जी के भरोसेमंद सहयोगी बन गए। अधिकारी ने 2011 विधान सभा चुनाव में ममता सरकार को बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 2009 और 2014 में तामलुक से सांसद रहे। 2016 मं उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और नंदीग्राम से विधायक चुने गए। वह ममता बनर्जी सरकार में नंबर दो के नेता थे।

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सुनील कुमार मंडल( टीएमसी सांसद)
सुनील कुमार मंडल ने लेफ्ट मोर्चे के सहयोगी फार्वर्ड ब्लॉक से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। 2011 में वह गल्सी से विधायक चुने गए। फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक के रुप में उन्होंने फरवरी 2014 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान टीएमसी उम्मीदवार को वोट दिया। इसके बाद वे टीएमसी में शामिल हो गए। वह बर्धमान पू्र्व से दो बार लोकसभा सांसद रहे। वह मुकुल रॉय के भरोसेमंद माने जाते हैं।

शीलभद्र दत्ता( टीएमसी विधायक)
शीलभद्र दत्ता ने कांग्रेस छात्र परिषद से अपना करियर शुरू किया। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 2006 में वह दल बदलकर टीएमसी में आ गए। 2009 में  वे टीएमसी यूथ कांग्रेस जिला युवाध्यक्ष बनाए गए। 2011 में वह बैरकपुर से विधायक चुने गए और 2016 में दोबारा जीतकर आए।

बनश्री दत्ता( टीएमसी विधायक)
पूर्वी मिदनापुर की कांथी उत्तर सीट से विधायक बनश्री दत्ता भी अधिकारी परिवार के भरोसेमंद हैं। वह 2011 और 2016 में कांथी सीट से विधायक चुनी गईं।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी( पूर्व टीएमसी विधायक)
श्यामा प्रसाद मुखर्जी बांकुरा की बिश्रुपुर सीट से विधायक थे। वह ममता बनर्जी की पहली कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं। चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था। वो 2016 में बिश्रुपुर से चुनाव हार गए।

सुदीप मुखर्जी
सुदीप मुखर्जी 2016 में पुरुलिया से विधायक चुने गए। वह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे।

दिपाली बिस्वास( टीएमसी विधायक)
2016 विधानसभा चुनाव में दिपाली बिस्वास ने गजोले निर्वाचन क्षेत्र से सीपीएम उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ा था। शुभेंदु अधिकारी के मालदा में पार्टी पर्यवेक्षक बनने के बाद बिस्वास जुलाई 2016 में टीएमसी में शामिल हो गई थीं।

सैकत पंजा( सीपीएम विधायक)
सैकत पंजा 2016 उपचुनाव में मटेश्वर से विधायक चुने गए थे। उनके पिता संजल पंजा के निधन के बाद सीट खाली हुई थी। सैकत पिछले तीन-चार महीने से बागी हो गए थे।

सुक्र मुंडा( टीएमसी विधायक)
सुक्र मुंडा अलीपुरद्वार जिले की नगरकटा सीट से विधायक हैं। 2011 में टीएमसी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और नगरकटा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जोसेफ मुंडा को जीत मिली थी, लेकिन 2016 में टीएमसी ने सुक्र को अपना उम्मीदवार बनाया और वह जीत गए।

तापसी मंडल( सीपीएम विधायक)
2016 विधानसभा चुनाव में सीपीएम की जिला नेता तापसी मंडल पूर्वी मेदिनीपुर जिले की हल्दिया सीट से लेफ्ट मोर्टे की उम्मीदवार थीं।

अशोक डिंडा( सीपीआई विधायक)
पूर्व सीपीआई नेता अशोक डिंडा 2016 में पूर्व मेदिनापुर के तामलुक से विधायक हुए। वह पूर्व मेदिनापुर जिले में सीपीआई का चेहरा थे।

विस्वजीत कुंडु( टीएमसी विधायक)
विस्वजीत कुंडा कालना से दो बार विधायक रहे हैं। 2011 में वह कालना से जीते और 2016 में दूसरी बार विधायक चुने गए । वे शुभेंदु अधिकारी के करीबी माने जाते हैं। अधिकारी के इस्तीफा देने के बाद सुनील मंडल के घर पर हुई बैठक में बिस्वजीत भी शामिल थे।

दसरथ टिर्के( पूर्व टीएएमसी सांसद)
2014 में आरएसपी से टीएमसी में आए दसरथ टिर्के अलीपुर से सांसद चुने गए थे। 2019 में वह बीजेपी के जॉन बरला से हार गए। इससे पहले वे कुमारग्राम से तीन बार ( 2001, 2006 और 2011) में विधायक भी रह चुके हैं।

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