शुभेंदु अधिकारी ने मुख्य सचिव पर लगाया गंभीर आरोप, पत्र लिखकर मांगा जवाब

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने प्रदेश के मुख्य सचिव पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी पर 24 जनवरी को गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि द्विवेदी राज्य प्रशासन के सबसे ऊंचे ओहदे पर रहने के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसे लेकर उन्होंने एक पत्र भी उन्हें लिखा है जिसमें कहा है कि हरि कृष्ण द्विवेदी को इस पत्र के जवाब में बताना चाहिए कि उनपर लगे हुए आरोप सही हैं या गलत ?

पत्र में दावा
पत्र में अधिकारी ने दावा किया है कि मुख्य सचिव रहते हुए वह राज्य सरकार से 16.4 लाख रुपये आवास रेंट के तौर पर ले चुके हैं जबकि वह राज्य सरकार की ओर से दो किराया मुक्त आवास का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। 24 जनवरी को मुख्य सचिव को संबोधित अपने पत्र में शुभेंदु अधिकारी ने दस्तावेजों के साथ इस बात का जिक्र किया है कि 30 सितंबर 2020 को वह राज्य के गृह सचिव के तौर पर नियुक्त हुए थे। उसके बाद से लगातार पदोन्नति कर वह मुख्य सचिव तक पहुंचे हैं और तब से लेकर आज तक उन्होंने हाउस रेंट के तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार से 16.4 लॉक रुपये ली है। इसके अलावा वह बीच में वित्त सचिव भी नियुक्त हुए थे और राज्य सरकार की ओर से उन्हें दो बंगले भी उपलब्ध कराए गए हैं जो किराया मुक्त है। हाल ही में उन्होंने जो वार्षिक अचल संपत्ति का रिटर्न दाखिल किया है उसमें इस बात की जानकारी दी है कि उन्होंने रजारहट न्यूटाउन में एक चार मंजिला बंगले को किराए पर लगाया है जिससे 15 लाख 84 हजार रुपये की आमदनी हुई है। जबकि न्यूटाउन के सिटी गार्डन के एक फ्लैट को भी किराए पर उन्होंने दिया है जिससे उन्हें चार लाख 80 हजार रुपये की आमदनी हुई है।

भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप
अपने पत्र में शुभेंदु ने लिखा है कि सचिवालय में मौजूद मेरे सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है कि मुख्य सचिव लगातार इस भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें तुरंत इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि अगर वह राज्य सरकार की ओर से किराया मुक्त आवास का इस्तेमाल कर रहे हैं वह भी एक नहीं दो, तब फिर वह राज्य से आवासीय किराए के तौर पर रुपये क्यों लेते रहे हैं? इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मुख्य सचिव को या तो इसे स्वीकार करना चाहिए या इनकार। अगर वह जवाब नहीं देते हैं तो इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा।

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