साइकिल से चाचा की छुट्टी? सरेंडर हुए शिवपाल से भतीजे ने लिया ऐसा बदला

सपा का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव के हाथ से जाने के बाद यादव कुनबे में भी फूट पड़ गई थी। विधान सभा चुनावों के पहले धड़ों में बंटा यादव कुनबा एक ही गाड़ी में सवार हो गया था, परंतु अब परिणामों के आने के बाद बगावत फिर देखने को मिल रही है।

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उत्तर प्रदेश में कभी बबुआ बुआ था अब बबुआ चाचा प्रसंग रंग रहा है। बबुआ अखिलेश यादव के समक्ष सरेंडर हुए शिवपाल यादव के नाराज होने की सूचना है। इसका कारण है कि शनिवार को समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में सपा की साइकिल से लड़नेवाले विधायक चाचा को निमंत्रण ही नहीं गया। इससे चाचा नाराज हैं और सपा ने चाचा की पार्टी से छुट्टी कर दी है, यानि उन्हें सहयोगी दल का नेता मानने लगी है।

विधान सभा चुनावों के पहले मुलायम सिंह यादव का कुनबा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ खड़ा मिला। नेता जी का पूरा परिवार एक ही बस में सवार हो गया था। बस में सबकी अपनी-अपनी जगह थी, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव बस में आगे सोफे पर सवार थे, तो शिवपाल सिंह यादव के पास मुलायम सिंह यादव के सोफे का हत्था ही था। जब बस आगे बढ़ी तो छह सीटों की आस लगाए चाचा को मात्र एक ही सीट मिली, जिस पर वे खुद जसवंत नगर से सपा की साइकिल लेकर खड़े हुए और जीतकर आए। परंतु, जब सपा विधायक दल की बैठक आयोजित की गई तो, चुनाव प्रचार में सपा की बस में सोफे के हत्थे पर बैठे चाचा के नीचे से साइकिल भी खींच ली गई, जिससे चाचा नाराज हैं।

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छिन गई साइकिल
समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक दल की बैठक में शनिवार को अखिलेश यादव को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। परंतु, चाचा नहीं बुलाए गए। चाचा की नाराजगी सामने आई तो, सपा प्रदेशाध्यक्ष नरेश पटेल ने स्पष्टीकरण दिया।

यह सिर्फ समाजवादी पार्टी विधायकों की बैठक थी। सहयोगी दलों को 28 मार्च को बुलाया जाएगा। उस बैठक में पल्लवी पटेल, जयंत चौधरी समेत सभी सहयोगी दल के नेता भी बुलाए जाएंगे।

चाचा क्यों बुरा मान गए?
किसी समय समाजवादी पार्टी में सभी बड़े निर्णयों में मत रखनेवाले शिवपाल सिंह यादव का पत्ता भतीजे के राज में कट गया। परिस्थिति यह हो गई कि, शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया। परंतु, 2022 के विधान सभा चुनावों में जब भारतीय जनता पार्टी के बुलडोजर को रोकने की तैयारी शुरू हुई तो सपा ने छोटे दलों से समझौता कर लिया। इसमें चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से भी समझौता किया गया।

सूत्रों के अनुसार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा की पार्टी को छह सीटें देने का आश्वासन दिया था, परंतु दी गई एक सीट, जिसपर जसवंत नगर से खुद शिवपाल सिंह यादव ने चुनाव लड़ा, वह भी सपा के साइकिल चुनाव चिन्ह पर। अब विधायक दल की बैठक में न बुलाए जाने पर यही खटक रहा है कि, जब चुनाव साइकिल पर सवार होकर लड़ा है, तो विधायक दल की बैठक में साइकिल से क्यों उतार दिया?

हमसे नहीं ली गई राय

पिछले दो दिनों से विधायक दल की बैठक में बुलाए जाने का इंतजार कर रहे थे। इस बैठक में शामिल होने के लिए सभी कार्यक्रम भी रद्द कर दिये थे। परंतु, बुलाया ही नहीं गया। चुनाव के समय भी कोई राय नहीं ली गई, न तो पार्टी की स्थिति क्या है इस बारे में चर्चा हुई। यदि चर्चा होती तो अखिलेश कहां कमजोर पड़ रहे हैं, उस पर अपनी राय देते।

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