शिवसेना के मुख पत्र के अग्रलेख में विपक्ष को एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी का मुकाबला करने का मंत्र दिया गया है। अग्रलेख में लिखा गया है कि मोदी के नाम का जादू खत्म हो चुका है। लेकिन मुकाबला करने के लिए विपक्ष को संगठित रहना जरुरी है। अग्रलेख में लिखा गया है, ‘2024 का टारगेट ठीक है, लेकिन मोदी-शाह की तरह विपक्ष को भी कुछ हथकंडे अपनाने होंगे। मोदी के नाम का जादू अब उतर गया है। इसलिए 2024 की जीत या हार विपक्ष की एकजुटता पर निर्भर है। इसके लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी। वर्ना वे आशीर्वाद यात्रा निकालकर लोगों के आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और एक बार फिर आगे निकल जाएंगे। जैसे ही 19 राजनीतिक दल एक साथ आए, मोदी की सरकार हिल गई और चली गई। इस तरह के भ्रम में विपक्ष के नेता न रहें। विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं, जिनकी अलग ही सोच है, उन्होंने अपनी अलग ही दुनिया बसा ली है। जब तक वे अपनी दुनिया से बाहर निकलकर एक साथ नहीं आएंगे, तब तक विपक्ष की ताकत नहीं बढ़ेगी।’
केवल चर्चा करने से कुछ नहीं होगा
2024 के चुनाव को लेकर केंद्र में सत्तासीन भाजपा का सामना करने के लिए विपक्षी दलों की गठबंधन बनाने को लेकर सक्रियता बढ़ने लगी है। इसे लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर देश के विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। बैठक में कांग्रेस समेत 19 राजनीतिक दल शामिल हुए थे। इन पार्टियों के नेताओं ने चर्चा की कि विपक्ष भाजपा को मात देने के लिए कैसी रणनीति बनाए। इस मुद्दे पर सामना में लिखा है कि सिर्फ रणनीति बनाने की चर्चा करने से विपक्षी एकता साबित नही हो जाएगी, बल्कि उन्हें देश के सामने भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन भी साबित करना होगा।
जन आशीर्वाद यात्रा की आलोचना
शिवसेना ने कहा कि मोदी सरकार के मंत्रियों ने जो जन आशीर्वाद यात्रा निकाली है, उसमें उनके मंत्री विपक्ष की आलोचना कर रहे हैं। यात्रा निकालने वाले आधे मंत्री और नेताओं के आचार-विचार मेल नहीं खाते। शिवसेना ने इशारे में नारायण राणे पर हमला करते हुए कहा कि कुछ नेता हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया है। वे बातें तो खूब कर रहे हैं लेकिन काम करने की जरुरत नहीं समझते।
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देना होगा मजबूत विकल्प
पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में जो हुआ, वह विपक्ष की आंखें खोलने के लिए काफी है। दोनों राज्यों ने दिखा दिया कि भाजपा को चुनावी मैदान में मात दी जा सकती है। तमिलनाडु में द्रमुक के स्टालिन की जीत, केरल में लेफ्ट की जीत भी उसके लिए सबक है। मुखपत्र में लिखा गया है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश और असम के अलावा आज किस राज्य में भाजपा की सरकार है? मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की गुटबाजी के कारण सरकार गिर गई। बिहार में तेजस्वी यादव भी भारी पड़ रहे हैं। दिल्ली में केजरीवाल की सरकार है। कुल मिलाकर विपक्ष के लिए माहौल काफी अनुकूल है।
देश में कई समस्याएं
अग्रलेख में लिखा गया है कि देश में किसानों की समस्या है, महंगाई-बेरोजगारी है। सरकार पेगासस की गंभीरता को नहीं समझती है, और कभी तालिबान का डर पैदा करना चाहती है, तो कभी लोगों भावनाओं से खेलती है। आज तालिबान अफगानिस्तान में कहर बरपा रहा है और यहां भाजपा के लोग कह रहे हैं, ”भारत में तालिबान नहीं है क्योंकि मोदी हैं। बोलो, भारतमाता की जय!” इस ड्रामे के खिलाफ सभी को एक साथ आने की जरूरत है। एक साथ आने का मतलब सिर्फ चर्चा करना नहीं है। लोग मजबूत विकल्प चाहते हैं। सभी विपक्षी दलों को लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनमें भाजपा का विकल्प देने की क्षमता है।