शिवसेना के मुखपत्र सामना में अभिनेता सोनू सूद पर आयकर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को मुद्दा बनाया गया है। मुखपत्र में केंद्र पर निशाना साधते हुए ईडी की कार्रवाई पर उंगली उठाई गई है। समाचार पत्र में लिखा गया है कि सोनू सूद के खिलाफ केंद्र सरकार के इशारे पर बदले की भावना से ईडी कार्रवाई कर रही है।
सामना में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए लिखा गया है,’कोरोना की पहली लहर में अभिनेता सोनू सूद के राहत कार्य की पूरे देश में सराहना हुई। सोनू सूद को ‘मसीहा’ की उपाधि से नवाजा गया। अब वही सोनू के घर पर आयकर विभाग ने छापेमारी की है।’ अग्रलेख में लिखा गया है कि भाजपा सरकार सरकारी मशीनरी का खुलकर दुरुपयोग कर रही है। जो लोग उनके लिए नुकसानदायक हैं या समर्थक नहीं हैं, या खिलाफ हैं, उन्हें परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। महाराष्ट्र में मंत्रियों और नेताओं पर गलत आरोप लगाकर कार्रवाई करने के गंदे खेल केंद्र के इशारे पर खेले जा रहे हैं।
ज्यादा दिन नहीं चलेगा इस तरह का खेल
पत्र में आरोप लगाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी अपने विपक्षी दलों और लोगों को निशाना बना रही है, ‘भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। बड़े राजनीतिक दल का दिमाग भी बड़ा होना चाहिए। शासकों की महानता इस बात में निहित है कि विपक्षी दलों के राज्यों की सरकारों या विभिन्न विचार वाले लोगों का वे कितना सम्मान करते हैं। महाराष्ट्र में मंत्रियों पर झूठे आरोप लगाना, ऊपर से दबाव में राज्यपाल द्वारा 12 विधायकों की नियुक्ति को रोकना, सोनू सूद पर आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई करवाना छोटे दिमाग की निशानी है।’
बिना वरिष्ठों के सपोर्ट के ऐसा संभव नहीं
पत्र में लिखा गया है कि भाजपा नेता अपने वरिष्ठों के समर्थन के बिना ईडी के कार्यालय में इतनी लापरवाही से नहीं जा सकते हैं। पत्र में कहा गया है, ‘जिस तरह राज्य के मंत्री बच नहीं पाए हैं, उसी तरह सोनू सूद जैसे कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी बच नहीं पा रहे हैं।’
पंजाब, दिल्ली से हाथ मिलाते ही सोनू पर कार्रवाई
शिवसेना का मानना है कि सोनू सूद पर गलत मानसिकता से कार्रवाई की जा रही है, ‘सोनू दिल्ली की केजरीवाल सरकार और पंजाब सरकार में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर शामिल होते ही केद्र के निशाने पर आ गए। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के शैक्षिक कार्यक्रम के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में सामाजिक कार्य करने के सोनू महाशय के फैसले ने आयकर विभाग का ध्यान आकर्षित किया। कहा जा रहा था कि सोनू के सामाजिक कार्यों के पीछे सिर्फ भाजपा ही प्रेरणा थी। लेकिन जब पंजाब और दिल्ली जैसी सरकारों ने सोनू के सामाजिक कार्यों में हाथ बंटाने की कोशिश की तो तय हुआ कि सोनू सूद तो भाजपा विरोधी निकला, उसे परेशान करो।’