शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने एक पत्र राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा है। इसमें उन्होंने अपने विरुद्ध चल रही जांच का उल्लेख किया है और समस्याएं भी गिनाई हैं। जिसमें प्रताप सरनाईक ने महाविकास आघाड़ी के घटक दलों पर शिवसेना को तोड़ने, स्वबल पर चुनाव लड़ने की धमकी देने का आरोप लगाया है तो भाजपा के अधीन केंद्रीय जांच एजेंसियों पर परेशान करने का भी आरोप लगाया है। इस पत्र में प्रताप ने किसी को नहीं छोड़ा है। उन्होंने महाराष्ट्र के अधिकारियों पर केंद्र के लिए गुप्तचरी करने का आरोप लगाया है। सरनाईक ने पत्र में मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि कैसे सबने उन्हें “बड़ा दुख दीना”।
प्रताप सरनाइक, अनिल परब, रविंद्र वाईकर ला आत्ता कुणीच वाचवू शकणार नाही
Nobody can save Pratap Sarnaik, Anil Parab & Ravindra Waikar @BJP4Maharashtra pic.twitter.com/XgAe2IpSl0
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) June 20, 2021
सरनाईक के इस पत्र से महाराष्ट्र से दिल्ली तक की राजनीति में भूचाल आ गया है। उन्होंने यह पत्र 9 जून को मराठी में लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि शिवसेना को फिर से भारतीय जनता पार्टी के साथ युति कर लेनी चाहिए।
पत्र की प्रमुख बातें बहुत ही रोचक और मार्मिक हैं…
- कांग्रेस-राकांपा के नेताओं को लगता है कि उनकी वजह से शिवसेना का मुख्यमंत्री बना है।
- कांग्रेस पार्टी “एकला चलो रे” की भूमिका निभा रही है।
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को तोड़ने की बजाय शिवसेना के कार्यकर्ताओं को ही तोड़ रही है
- केंद्रीय जांच एजेंसियों से पीछा छुड़ाने के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार के कुछ मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी गुप्त रुप से केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता दल के साथ संपर्क बढ़ा रहे हैं।
- पिछले डेढ़ साल में हमारी पार्टी के कई विधायकों से मेरी चर्चा में यह बात सामने आई है कि कांग्रेस-राकांपा विधायकों का काम तुरंत हो जाता है, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री होते हुए भी शिवसेना के विधायकों का काम नहीं होता है। इस कारण पार्टी के कई विधायक नाराज हैं।
- चर्चा यह भी है कि क्या शिवसेना ने भाजपा से युति तोड़कर राकांपा और कांग्रेस को बड़ी पार्टी बनाने किए महाविकास आघाड़ी का गठन किया है?
- अगर कांग्रेस-राकांपा सत्ता में साथ रहकर भी अपनी( शिवसेना) पार्टी को कमजोर करने का काम कर रही हैं। हमारे ही कार्यकर्ताओं को तोड़ रही हैं तो इस स्थिति में एक बार फिर हमारे लिए बेहतर है कि हम फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हो जाएं।
- कई कार्यकर्ताओं को लगता है कि इससे प्रताप सरनाईक, अनिल परब, रवींद्र वायकर और अन्य सहयोगियों और उनके परिवारों का अनावश्यक उत्पीड़न बंद हो जाएगा।
- बिना कोई अपराध या गलत काम किए हमें केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। इससे केंद्रीय जांच एजेंसी के ‘दलाल’ और शिवसेना की वजह से “पूर्व सांसद” बने नेता द्वारा की जा रही बदनामी पर भी अंकुश लग जाएगा।
- यहां तक कि हमारे साथ ही हमारे परिवारों को भी लगातार टारगेट किया जा रहा है। झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। एक मामले में जमानत मिल गई, फिर तुरंत और जानबूझकर दूसरे मामले में फंसाया जा रहा है।
- मुझे लगता है कि अभिमन्यु की तरह लड़ने या युद्ध में लड़ते हुए बलिदान होने की बजाय हमें धनुर्धर अर्जुन की तरह लड़ना चाहिए। मैं राज्य में अपनी सरकार होने के बावजूद सरकार तथा प्रशासन या किसी अन्य नेता से सहयोग के बिना पिछले 7 महीनों से अपनी और अपने परिवार की लड़ाई लड़ रहा हूं।
- अगले साल मुंबई, ठाणे और अन्य नगरों में महानगरपालिका के चुनाव हैं। हालांकि राज्य में अब हमारी भाजपा से युति टूट चुकी है, लेकिन कई नेताओं के बीच अब भी निजी संबंध बरकरार हैं। बेहतर होगा कि इसे टूटने से पहले एडजस्ट कर लें। मुझे लगता है कि इससे भविष्य में हमारे और शिवसेना के कुछ अन्य नेता- कार्यकर्ताओं को फायदा होगा।