एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 40 विधायक, 13 सांसद बड़ी संख्या में गए नेता और कार्यकर्ताओं की परीक्षा की घड़ी आ गई है। इसके लिए सभी की परेड चुनाव आयोग के समक्ष होनी है। शिवसेना में बँटवारे के बाद पेंच उत्पन्न हो गया है कि मूल शिवसेना कौन सी है और किसके पास शिवसेना का चुनाव चिन्ह जाएगा?
शिवसेना के दो धड़े हो गए हैं, दोनों ही धड़े अपने आपको बालासाहेब ठाकरे द्वारा खड़ी की गई शिवसेना का उत्तराधिकारी बता रहे हैं। जिसमें एक ओर बालासाहेब के पुत्र उद्धव ठाकरे की ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ है तो दूसरी ओर एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ है। दोनों ही शिवसेना अपने आपको मूल शिवसेना बता रहे हैं और धनुष बाण के चुनाव चिन्ह पर अपना अधिकार व्यक्त कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में यह प्रकरण केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए लंबित है। जिसकी सुनवाई 12 जनवरी, 2023 से प्रारंभ होगी।
लाखो प्रतिज्ञापत्र सौंपे गए
चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों गुटों को अपने सदस्यों के प्रतिज्ञा पत्र सौंपने का आदेश दिया था। इसके अनुसार शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने 20 लाख जबकि, बालासाहेबांची शिवसेना की ओर से 10 लाख सदस्यों का प्रतिज्ञापत्र केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। लेकिन अब सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार अगले एक सप्ताह में दोनों ही गुटों के नेताओं की परेड हो सकती है।
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क्यों होगी परेड?
- केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष दावा प्रस्तुत करते हुए दोनों ही गुटों ने अपने साथ सर्वाधिक जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी होने का दावा कर रहे हैं। जिसकी प्रत्यक्ष पड़ताल करने के लिए पहचान परेड की आवश्यकता है।
- वर्तमान में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली बालासाहेबांची शिवसेना के साथ सर्वाधिक जनप्रतिनिधि हैं। जिसको प्रत्यक्ष रूप से पड़तालने के लिए पहचान परेड आवश्यक मानी जा रही है।