Bangladesh: शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ पर लगेगा प्रतिबंध, जानिए अंतरिम सरकार ने क्यों लिया ऐसा फैसला

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में शनिवार रात हुई एक आपात बैठक के बाद यह घोषणा की गई।

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बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार (Interim Government) ने एक बड़ा राजनीतिक निर्णय (Political Decision) लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग (Awami League) पर प्रतिबंध (Ban) लगाने की घोषणा की है। यह प्रतिबंध आतंकवाद विरोधी अधिनियम (Anti-Terrorism Act) के तहत लगाया गया है। साथ ही, सरकार ने अंतरराष्ट्रीय अपराध (अदालत) अधिनियम में संशोधन कर छात्र-नेतृत्व वाले जनविद्रोह के दमन में पार्टी की कथित भूमिका की जांच और मुकदमे की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है।

शनिवार रात अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में हुई आपात बैठक के बाद यह घोषणा की गई। बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कानूनी सलाहकार असीफ नजऱुल ने सरकार के तीन मुख्य फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन निर्णयों की आधिकारिक अधिसूचना आगामी कार्यदिवस पर जारी की जाएगी।

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सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवामी लीग की सभी गतिविधियों, जिनमें ऑनलाइन और डिजिटल मंचों पर संचालन भी शामिल है, फिलहाल पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेंगी, जब तक कि न्यायिक निर्णय नहीं आ जाता। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, जुलाई जनविद्रोह में शामिल कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के गवाहों व शिकायतकर्ताओं की रक्षा के दृष्टिकोण से उठाया गया है।

इसके अतिरिक्त, “जुलाई घोषणा पत्र” का अंतिम संस्करण अगले 30 कार्यदिवसों में प्रकाशित किया जाएगा, जिसमें छात्र आंदोलन से संबंधित दस्तावेज और आरोप शामिल होंगे।

सरकार का कहना है कि प्रतिबंध का उद्देश्य देश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना और आगामी आम चुनावों के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना है। हाल के हफ्तों में अवामी लीग द्वारा देशभर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों और कथित हिंसक गतिविधियों को लेकर प्रशासन सतर्क था।

हालांकि, इस प्रतिबंध पर अवामी लीग या शेख हसीना की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब देश में आगामी संसदीय चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और विपक्षी दलों द्वारा निष्पक्ष चुनाव की मांग को लेकर दबाव बढ़ाया जा रहा था।

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