पवार का पॉवर गेम, एक काम तीन नाम

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रिपोर्ट – अशोक शुक्ला

मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना नॉन स्टॉप हमला कर रहा है। इस पर नियंत्रण की सरकारी कोशिश विफल ही दिख रही है। जबकि सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण ने सरकार की और किरकिरी कर रखी है। इस बीच कंगना के कार्यालय पर तोड़क कार्रवाई ने जनता में विपरीत संदेश दिया है। इससे गठबंधन के सदस्य राकांपा ने बचने की राय दी है। सीनियर पवार से सीएम को मिल रही राय को भले ही शिवसेना गठबंधन धर्म बताए लेकिन पवार के पावर गेम में इसे रिमोट कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी तरफ प्रशासनिक स्तर पर ग्राउंड जीरो पर उतरकर उप-मुख्यमंत्री ने प्रशासन पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। तो सम-सामयिक मुद्दों पर पार्थ की चिट्ठी और ट्वीट ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। ऐसे में राजनीतिक रणनीतिकार इसे पवार की तीन पीढ़ियों का मास्टर प्लान बता रहे हैं जिसमें लक्ष्य एक है और उस पर काम कर रहे नाम तीन।
शरद पवार को राजनीति का चाणक्य माना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार शरद पवार की नजर कहीं और निशाना कहीं और होता है। शरद पवार सत्ता में रहते हुए अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं शायद इसकी भनक शिवसेना को नहीं है। शरद पवार जो चाहते हैं महाराष्ट्र में वही हो रहा है।

प्रशासन पर अजित पवार का कब्जा

अब बात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तो, वे भले मुख्यमंत्री हों लेकिन मंत्रालय के प्रशासन पर उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार का कब्जा है। प्रशासनिक तौर पर जितने फैसले लेने होते हैं वह शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के हाथ में हैं चाहे वो वित्त हो या गृह विभाग।

हिन्दुत्व पर पार्थ पवार की सेंध

अब रही बात शिवसेना के हिंदुत्व वाले एजेंडे की तो उसकी जिम्मेदारी अजित पवार के बेटे पार्थ पवार संभाल रहें हैं। ताजा उदाहारण राम मंदिर के भूमि पूजन पर दिखा जब पार्थ पवार ने ट्विटर पर जय श्री राम लिखकर यह जाहिर कर दिया कि वह राम मंदिर के पक्षधर हैं। महाराष्ट्र में इस त्रिशंकू सरकार को बने करीब 10 महीने होने वाले हैं लेकिन शिवसेना अपने फैसलों से प्रतिदिन नए विवादों में फंसती ही जा रही है। जबकि शरद पवार सरकार के सलाहकार बनकर रिमोट कंट्रोलर बने दिख रहे हैं। जानकारों के अनुसार पवार परिवार की तीन पीढ़ियां ऐसे ही राजनीतिक रणनीति पर काम करती रहीं और शिवसेना बड़बोलेपन में फंसी रही तो वो दिन दूर नहीं जब महाराष्ट्र में हैवीवेट रीजनल पार्टी के रूप में राकांपा ही नजर आएगी।

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