भाजपा के निशाने पर चाचा-भतीजे के ये चहेते नेता!

महाराष्ट्र में पिछले एक साल में भाजपा ने राष्ट्रवादी कांंग्रेस पार्टी के नेताओं, विशेषकर अजित पवार और शरद पवार के करीबी लोगों की अपेक्षा, शिवसेना नेताओं को ज्यादा  निशाना बनाया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां की राजनीति में बदलाव आया है।

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महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और महाविकास आघाड़ी सरकार के बीच संघर्ष तेज हो गया है। इन दिनों रेमडेसवीर इंजेक्शन को लेकर कोरोना काल में खूब राजनीति की जा रही है। इसी क्रम में खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे इन दिनों विपक्ष के निशाने पर हैं। हालांकि, पिछले एक साल में परस्थिति के अनुसार भाजपा ने राष्ट्रवादी कांंग्रेस पार्टी के नेताओं, विशेषकर अजित पवार और शरद पवार के करीबी लोगों की अपेक्षा शिवसेना नेताओं को ज्यादा  निशाना बनाया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां की राजनीति में बदलाव आया है और भाजपा ने एनसीपी के उन नेताओं को टारगेट करना शुरू कर दिया है, जो सीनीयर और जूनियर पवार के करीबी माने जाते हैं।

नवाब मलिक
नवाब मलिक हमेशा राकांपा के कट्टर समर्थक की भूमिका निभाते रहे हैं। इसलिए पार्टी ने उन्हें अल्पसंख्यक मंत्री और पार्टी प्रवक्ता का पद दिया है। शरद पवार के विश्वासपात्र कहे जाने वाले नवाब मलिक भी विपक्ष के निशाने पर हैं। एक रेमडेसवीर स्टॉक ब्रोकर को बचाने के लिए दो विपक्षी नेता और दो विधायक खुद रात में पुलिस स्टेशन जाते हैं। इसका मतलब है कि निश्चित रूप से दाल में कुछ काला है। इसके साथ ही मलिक के इस बयान पर कि ‘भाजपा रेमेडेसवीर इंजेक्शन के स्टॉक रखनेवाले उद्योगपति को बचाने की कोशिश कर रही है’,उन्हें भाजपा की ओर से उचित जवाब दिया जा रहा है। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर नवाब मलिक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल से मिलने वाले हैं।

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राजेंद्र शिंगणे
राजेंद्र शिंगणे अजित पवार के विशेष भक्त हैं। जब तड़के अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ ऐतिहासिक शपथ ली थी, तो शिंगणे भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे। शपथ ग्रहण समारोह के बाद, शिंगणे ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से संपर्क किया था और उन्हें इसकी जानकारी दी थी। उन्हें महाविकास गठबंधन सरकार में खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, वर्तमान में राज्य में ऑक्सीजन और रेमडेसवीर इंजेक्शन की भारी कमी है, जिसे लेकर जमकर राजनीति हो रही है। भाजपा ने अब ब्रुक फार्मा के मालिक को मंत्री के ओएसडी द्वारा धमकी भरे फोन करने का गंभीर आरोप  लगाया है। इस तरह अब राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे भाजपा के निशाने पर हैं।

अनिल देशमुख
प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को शरद पवार के प्रति काफी वफादार माना जाता है। पवार की सलाह पर देशमुख को महाविकास आघाड़ी में महत्वपूर्ण मंत्री पद मिला था। हालांकि, सचिन वाझे का मामला सामने आने के बाद पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख भाजपा के निशाने पर आ गए। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने एक गंभीर आरोप लगाया है कि जब अनिल देशमुख गृह मंत्री थे, तब उन्होंने सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रुपये  वसूली का टारगेट दिया था। इसके बाद, विपक्ष की आलोचना तेज हो गई है। मुंबई उच्च न्यायालय ने भी परमबीर सिंह के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। उस समय, भाजपा नेताओं ने नैतिकता के मुद्दे पर देशमुख के इस्तीफे की जोरदार मांग की। इसलिए, अनिल देशमुख को आखिरकार गृह मंत्री के पद से हटना पड़ा।

धनंजय मुंडे
अजित दादा के पसंदीदा नेता हैं ‘धनु भाऊ’। चर्चा तब शुरू हुई, जब अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस द्वारा शपथग्रहण की पूरी योजना उनके बंगले पर बना जाने की बात सामने आई। इसका कारण यह था कि अजित पवार उनके करीबी थे। इसलिए उन्हें महाविकास आघाड़ी सरकार में सामाजिक न्याय विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, रेणु शर्मा द्वारा पुलिस में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने के बाद मुंडे की कुर्सी भी चली गई। रेणु शर्मा ने 2006 से धनंजय मुंडे पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया था कि बॉलीवुड में मौका दिलाने के नाम पर मुंडे ने उनकी इच्छा के विरुद्ध उनसे यौन संबंध बनाए। सोशल मीडिया पर शिकायत सामने आने के बाद धनंजय मुंडे ने खुद फेसबुक पर अपनी सफाई पेश की थी, लेकिन तमाम तिकड़म के बावजूद विपक्ष ने उनका मंत्री पद का विकेट लेकर ही दम लिया।

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