किसान आंदोलन : मतदान के पहले जान लें आंदोलन का ‘मेन्यू’

संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन चौथे महीने में जारी है। इस बीच पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें हिस्सा लेने के लिए मोर्चा के नेता चुनावी राज्यों की ओर निकल पड़े हैं।

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कोहरे की चादरों से निकला मौसम निखर आया है और किसान सियासत की नई चादर ओढ़े चुनावी राज्यों में पहुंच गए हैं। डेस्टिनेशन बंगाल के अंतर्गत किसानों का दल नंदीग्राम में था। यहां राज्य की सबसे हाई प्रोफाइल चुनावी लड़ाई हो रही है। जिसके लिए दीदी का फ्रैक्चर पांव और सुवेंदू का अनुभवी दांव दोनों में से किसका पलड़ा भारी पड़ता है उसी पर सत्ता की पूरी चाबी है।

वैसे ये इस आंदोलन का पुराना मेन्यू है। जिस पर पंजाब में खूब चटखारे कांग्रेस ने लिए हैं। आंखो देखा हाल दिल्ली की सीमा पर ये है कि, आंदोलन के टेंट भी बदलने लगे हैं। कम होती संख्या से चिंता हुई तो नेता मंडली ने महिलाओं को बुला लिया, हो सकता है बच्चे भी आ जाएं। इसके लिए आंदोलन के ग्राउंड जीरो पर पक्के निर्माण होने लगे हैं। पंखे, डेजर्ट कूलर और एसी से गर्मी की ऐसी-तैसी करने की तैयारी हो रही है।

बंगाल में आंदोलन
किसान आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के यूनीयन सदस्य पश्चिम बंगाल में पहुंच गए हैं। दोपहर को प्रेस कॉन्फ्रेन्स किया और शाम को नंदीग्राम पहुंच गए। नंदीग्राम परिवर्तन का स्थान है। 2007 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए वामपंथी सरकार ने यहां की उपजाऊ भूमि को सलीम ग्रुप को आबंटित कर दिया था तो, स्थानीय किसान उठ खड़े हुए। परिणामस्वरूप पुलिस ने सियासी आकाओं की बात मानी और 14 ग्रामीण मारे गए। यहीं से नारा लगना शुरू हुआ मां, मातृभूमि और मानव… इसके लिए उठे स्वर का परिणाम 2011 में दिखा और वामपंथी सरकार का सफाया हो गया और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सत्ता स्थापित हो गई। संयुक्त किसान मोर्चा ग्रामीणों की उसी अलख को जगाने पहुंचा है। जिसका उपयोग वो तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने में कर पाए। इसके लिए वो भाजपा को हराने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इसके लिए किसी को तो जिताना भी पड़ेगा। जिसमें किसान आंदोलन को समर्थन देनेवाला वामपंथी दल और कांग्रेस दोनों साथ हैं तो तृणमूल भी यूनीयनवालों की हितैषी पार्टी है।

टेंट भी हो रहे पक्के
संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के बदले मेन्यू में तंबू (टेंट) भी बदल रहे हैं। सड़क पर ईंट-गारे से जोड़ाई शुरू हो गई है। भयंकर गर्मी से निपटने के लिए एसी, डेजर्ट कूलर, पंखों की व्यवस्था की जा रही है। महिला दिवस पर किसान नेताओं ने महिलाओं को आंदोलनस्थल की कमान दे दी थी। अब जब अंदोलन स्थल पर महिलाएं होंगी तो हो सकता है आगामी दिनों में बच्चे भी आएं। आंदोलन के बदलते स्वरूप में महिला-बच्चे ढाल भी हो सकते हैं बाकी तलवार तो पुरुष प्रदर्शनकारी भांजते ही रहे हैं।

थाली में नए व्यंजन
संयुक्त किसान मोर्चे के आंदोलन में व्यंजनों की बड़ी भूमिका रही है। बादाम, पिस्ते, दूध-दही से लेकर बिरयानी, पूड़ी-छोले सबकुछ चौबीस घंटे मिलता रहा है। ठंडी अब विदा हो गई है तो थाली भी बदली है इसमें ठंडाई, मैंगो शेक, गन्ने का रस शामिल हो गया है। 30 जगहों पर लंगर चल रहे हैं। आखिर पेट भरा रहेगा तो आंदोलन भी चलेगा और परिवार भी टिकेगा।

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