उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होने हैं। इस बीच एक बार फिर किसान यूनियन नेता भाजपा सरकार के विरुद्ध वातावरण बनाने में लग गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने 9 जुलाई 2021 को एक रैली निकालने की घोषणा की है, जिसमें उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र को टार्गेट किया गया है। जिससे किसानों की आड़ में यूनियन के चुनावी एजेंडे चलाने का आरोप लगने लगा है।
पिछले सात महीने से किसान यूनियनों का आंदोलन चल रहा है। इस बीच कई स्थानीय निकाय और विधान सभा चुनाव भी हुए। जिसमें किसान यूनियन के नेताओं ने गैर भारतीय जनता पार्टी दलों का खुलकर समर्थन किया। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों ने तो इन यूनियन के नेताओं का मनोबल ऊंचा कर दिया। इसके बाद अब यह नेता उत्तर प्रदेश को निशाना बनाने के प्रयत्न में हैं।
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टैक्टर का सियासी टर्न
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि 9 जुलाई को शामली से किसान यूनियन की एक यात्रा निकलेगी और बागपत होते हुए सिंघु सीमा पर जाएगी। दूसरी यात्रा 24 जुलाई को बिजनौर से चलेगी और मेरठ रुकते हुए गाजीपुर रवाना होगी। किसानों के ट्रैक्टर के इस टर्न को सियासी टर्न माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में छह महीने बाद चुनाव हैं ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खप प्रभुत्व वाले क्षेत्र में वातावरण को भाजपा के विरोध में मोड़ने के लिए यह प्रयत्न हो सकता है।
पंजाब, पश्चिम बंगाल में हो चुका प्रयोग
- फरवरी 2021 – किसान यूनियन के आंदोलन का पहला सियासी प्रयोग पंजाब में हुआ। जिसमें स्थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का लगभग सफाया हो गया। इसमें कांग्रेस की स्थिति बीते कई वर्षों बाद इतनी मजबूत हुई है। इस चुनाव में किसान यूनियन का जबदबा देखा गया था। कई स्थानों पर भाजपा के प्रत्याशियों को प्रचार तक नहीं करने दिया।
- अप्रैल 2021 – पश्चिम बंगाल चुनावों में भी संयुक्त किसान मोर्चा का दल प्रचार के लिए गया था। इस दल ने लोगों से भारतीय जनता पार्टी को मतदान न करने का खुलेआम प्रचार किया और ममता बनर्जी का समर्थन किया था।