रुस ने तजाकिस्तान को भेजे 12 बख्तरबंद वाहन और युद्ध के सामान! अफगानिस्तान में फिर छिड़ेगी जंग?

तजाकिस्तान तालिबान को इसलिए नियंत्रण में रखना चाहता है, क्योंकि उसे और उसके साथ ही रुरस को भी कट्टरपंथी विचारधारा का असर उनके द्वारा शासित क्षेत्रों पर पड़ सकता है।

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अफगानिस्तान में लालिबान सरकार के लिए आगे की राह काफी कठिन दिख रही है। वहां सरकार में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने का परिणाम दिखने लगा है। इससे पड़ोसी देश तजाकिस्तान के नाराज होने की खबर है। मध्य एशिया में भारत का रणनीतिक सहयोगी और अफगानिस्तान का अहम पड़ोसी तजाकिस्तान ने तालिबान सरकार के खिलाफ अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। इसके साथ ही रुस ने तजाकिस्तान को 12 बख्तबंद टैंक भेजे हैं।

तजाकिस्तान की नाराजगी का कारण तालिबान सरकार में केवल पश्तून समुदाय की हिस्सेदारी है। उसकी आपत्ति इस बात को लेकर है कि यह केवल पश्तुनों की सरकार है। इसमें न तो ताजिक समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है, और न ही हजारा समुदाय के लोगों को ही महत्व दिया गया है।

समावेशी सरकार बनाने की अपील
तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने तालिबान से सभी अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने और एक समावेशी सरकार बनना को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान का नाम तो लिया है लेकिन उसकी (तीसरा देश) दखलंदाजी को लेकर भी अपनी नाराजगी जताई है। 20 वर्षों से तजाकिस्तान में राज कर रहे रहमोन का मानना है कि अफगानिस्तान की राजनीतिक समस्याओं को दूर करने के लिए सभी अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देकर एक समावेशी सरकार बनानी चाहिए। फिलहाल अफगानिस्तान की तालिबान की अंतरिम सरकार के 33 मंत्रियों में से 90 प्रतिशत मंत्री केवल पश्तून समुदाय से हैं।

पाकिस्तान पर आरोप
ताजिकस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि पंजशीर घाटी में तालिबान की कब्जा करने की कोशिश को तीसरा देश मदद कर रहा है। बता दें कि पंजशीर मे पाकिस्तान के स्पेशल फोर्सेस तालिबान की राह तो आसान कर रही हैं। इतना ही नहीं, तालिबान की ड्रोन से भी वह मदद कर रहा है।

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तजाकिस्तान और रुस इसलिए चिंतित
तजाकिस्तान तालिबान को इसलिए नियंत्रण में रखना चाहता है, क्योंकि उसे और उसके साथ ही रुरस को भी कट्टरपंथी विचारधारा का असर उनके द्वारा शासित क्षेत्रों पर पड़ सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि तजाकिस्तान की अफगान से लगकर 1,344 किलोमीटर तक की सीमा है। अधिकांश भाग पहाड़ी होने से वहां की सुरक्षा काफी मुश्किल भरा काम है।दूसरी ओर मध्य एशिया में इस्लामी आतंकवादियों की घुसपैठ के विस्तार की आशंका से रुस की भी चिंता बढ़ गई है। इस वजह से उसने तजाकिस्तान को 12 बख्तरबंद वाहन और सैन्य सामान भेजे हैं।

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