कांग्रेस के लगातार हमलों के बाद स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र ने भी कड़े तेवर दिखाए हैं। उन्होंने स्वातंत्र्यकाल में जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच शिमला में हुई बैठक का उल्लेख किया और राहुल गांधी से इस बैठक पर उत्तर देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी को बताना चाहिये कि उनके परनाना जवाहरलाल नेहरू के साथ ऐसा क्या हुआ कि, शिमला में उन चार दिनों की बैठक में देश बांटने को तैयार हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि, देश का विभाजन हनी ट्रैप में हुआ है।
रणजीत सावरकर ने राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी पर हमला बोलते हुए एडविना माउंटबेटन से नेहरू के संबंधों का खुलासा किया। उन्होंने इसके लिए तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन की उस पार्टी का उल्लेख किया जो 8 मई, 1947 को शिमला के वाइसरॉय लॉज में आयोजित की गई थी। इस पर कई सरकारी दस्तावेज उपलब्ध हैं, इसके अलावा पामेला माउंटबेटन की पुस्तक में इसका खुलकर उल्लेख किया गया है। जिसमें कहा गया है कि, भारत के विभाजन की योजना पर सहमति के लिए नेहरू को शिमला में बुलाया गया था। इसके बाद नेहरू ने बिना कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अनुमित के देश के विभाजन की योजना को मान्य कर लिया।
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प्रधानमंत्री से मांग, उन पत्रों को भारत लाएं
रणजीत सावरकर ने पामेला माउंटबेटन की पुस्तक का संदर्भ लेते हुए भारत के प्रधानमंत्री से मांग की है कि, सरकार ब्रिटेन से जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के उन पत्रों को भारत लाए और उसे सार्वजनिक करें, जिससे पता चले कि ऐसी कौन सी जानकारिया थीं, जो नेहरू स्वतंत्रता के बारह वर्षों बाद तक एडविना माउंटबेटन को देते रहे। बता दें कि, पामेला माउंटबेटन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि, भारत के स्वतंत्र होने के बाद बारह वर्षों नेहरू नित्य उनकी मां को दिन प्रतिदिन का जानकारी साझा करते थे।
वो ‘हैपी थ्रीसम’ थे!
नेहरू के बारे में पामेला माउंटबेटन लिखती हैं कि, उनके पिता लॉर्ड माउंटबेटन, नेहरू और मां एडविना माउंटबेटन के अच्छे संबंध थे। तीनों ही ‘हैपी थ्रीसम’ थे। पामेला लिखती हैं, ‘मेरी मां के पहले से प्रेमी थे। मेरे पिता इससे त्रस्त थे। इसने उनका दिल तोड़ दिया था। मेरे पिता ने 1948 में मेरी बहन को लिखा था कि, वह (एडविना) और नेहरू एक दूसरे को इतने प्यारे थे कि मैं और पैमी (पामेला) इसके लिए हर सहायता करते थे। हमारा बहुत सुखी परिवार था। जहां हैपी थ्रीसम थे।