पूर्वांचल ‘राज-मार्ग’: इसलिए सड़क पर उतरा प्रधानमंत्री का विमान

उत्तर प्रदेेश लंबे काल से केंद्र की सत्ता की मजबूती और प्रदेश सरकार स्थापित करनेवाली पार्टी के लिए राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा अवसर लेकर आती है। इसलिए सभी दल उत्तर प्रदेश में अपना पैर जमाए रखने के लिए प्रयत्नशील रही हैं।

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पूर्वांचल में भाजपा ने बहुत ही बारीकी से अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसका एक बड़ा कारण है कि, लंबे समय से प्रदेश की राजनीति में पश्चिमी उत्तर प्रदेश सत्ता का केंद्र रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी से प्रतिनिधित्व, गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आना बहुत अर्थ रखता है। इसलिए 2022 के विधान सभा चुनाव में पूर्वांचल को साधने में भाजपा लगी हुई है। इसका दूसरा कारण है पूर्वांचल की जीत उत्तर प्रदेश के राज मार्ग को प्रशस्त करती है।

मंगलवार को पूर्वांचल राजमार्ग पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विमान उतरा, तो वे देश के पहले प्रधानमंत्री थे, जिनका विमान किसी सड़क पर उतरा था। यह विमान सुल्तानपुर के कुरेभार में बनी हवाई पट्टी पर उतरने की कहानी भी बड़े राजनीतिक संकेत लेकर आई है। दिल्ली की सत्ता और उत्तर प्रदेश की सरकार के राज मार्ग को प्रस्थापित रखने के लिए गांधी परिवार की वर्षों तक बपूती रहनेवाले संसदीय क्षेत्र पर यह लैंडिंग थी। यह एक ऐसा जिला है जो राम की नगरी अयोध्या और विश्वनाथ की नगरी काशी के बीच सेतु का कार्य करता है। इस पर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (द्रुतगति राजमार्ग) सत्ता की कुंजी पुन प्राप्ति का मार्ग हो सकता है।

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इसलिए भाजपा का विमान पूर्वांचल पर दौड़ा

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी से प्रतिनिधित्व अपने आप में पूर्वांचल में जीत का लक्ष्य साधने की चुनौती देता है। यदि केंद्र और राज्य की सत्ता रहने के बाद भी इसे दूसरी बार प्राप्त नहीं कर पाए तो, भाजपा के लिए यह संकट का संकेत है।
  • गोरखपुर से मुख्यमंत्री का योगी आदित्यनाथ का प्रतिनिधित्व लखनऊ की गद्दी पर पूर्वांचल को कायम रखने की चुनौती है। मुख्यमंत्री योगी के लिए आगामी चुनाव अभी नहीं तो कभी नहीं से कम नहीं  है।
  • उपमुख्यमंत्रियों का भी पूर्वांचल कनेक्शन इसी परिपाटी का परिचायक है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज के फूलपुर से संसद पहुंचे थे और उसके पहले सिराथू से विधायक भी रह चुके हैं, इसके अलावा सरकार के दूसरे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा लखनऊ से हैं। ऐसे में भाजपा की सत्ता का केंद्र बिंदु पूर्वांचल ही रहा।
  • सुल्तानपुर के पास अमेठी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का संसदीय क्षेत्र है। यहां कभी कांग्रेस का बोलबाला रहता था। गांधी परिवार यहां का प्रतिनिधित्व करता था। परंतु, अब यहां पूर्वांचल द्रुतगति राजमार्ग का निर्माण कर भाजपा अपनी पारंपरिक सीट के रूप में इसे स्थापित करने की जुगत में है।
  • किसान यूनियन के आंदोलनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभावित है, यहां विधान सभा चुनावों में मुकाबला बहुकोणीय हो सकता है। ऐसे में पूर्वांचल, बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों को साधना आसान है।

जो पूर्वांचल जीता वो सत्ता का सिकंदर

  • पूर्वांचल में विधान सभा की 160 सीटें
  • 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा 115 सीटें जीतीं और सरकार स्थापित की
  • 2012 में समाजवादी पार्टी ने 100 सीटों से अधिक जीती और सत्ता में बैठी
  • 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने यहां सबसे बड़ी पार्टी बनी और लखनऊ की गद्दी पर उसका राज स्थापित हुआ
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