पंजाबः तीन सदस्यीय पैनल से मिले सिद्धू! क्या मिटेगी कांग्रेस में जारी कलह?

पंजाब कांंग्रेस में जारी कलह को मिटाने की कोशिश पार्टी हाई कमान द्वारा गठित पैनल कर रहा है। इसके लिए वह प्रदेश के पार्टी नेताओं से मुलाकात कर उनकी राय जानने की कोशिश कर रहा है।

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पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन सत्ताधारी पार्टी की कलह मिटने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि पार्टी हाई कमान ने इसके लिए तीन सदस्यीय पैनल गठित की है, जिसमें पंजाब के प्रभारी हरीश रावत, पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे और जय प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं।

पैनल अपने स्तर पर पार्टी के अंदरुनी झगड़े को निपटाने की पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन सिरदर्द कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। 1 जून को एक बार फिर इनकी कोशिश पर पानी फिर गया। इनसे मिलने के बाद भी कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू अपने स्टैंड से टस से मस होते नहीं दिखे और उन्होंने कहा कि मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं।

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सिद्धू ने कही ये बात
दरअस्ल पैनल ने सिद्धू को मिलने के लिए दिल्ली बुलाया था। समिति के सदस्यों से मुलाकात करने के बाद सिद्धू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं। उन्होंने कहा कि मैं यहां जमीनी कार्यकर्ताओं की आवाज को हाईकमान तक पहुंचाने के लिए आया था। लोकतांत्रिक सरकार में मेरा स्टैंड कामय रहेगा। जनता की ताकत को उसे वापल लौटानी चाहिए। मैंने स्पष्ट रुप से अपना पक्ष रख दिया है।

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दो घंटे तक हुई बात
खड़गे के नेतृत्व में गठित इस पैनल ने करीब दो घंटे तक सिद्धू को मनाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे। सिद्धू ने कहा कि मैंने अपनी राय से समिति को अवगत करा दिया है। सत्य की जीत होगी। बता दें कि पैनल ने 31 मई को भी पंजाब के कई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की थी। इनमें प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी शामिल थे।

26 नेताओं से मिल चुका है पैनल
अब तक पैनल ने पंजाब के 26 कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर उनके रुख को जानने की कोशिश की है। इनमें मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि विरोधियों ने शिकायत की है कि पार्टी का एक गुट ही सरकार चला रहा है और चुने हुए प्रतिनिधियों की बजाय नौकरशही को अधिक तवज्जो दी जा रही है।

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आत्मघाती साबित होगी कलह
अब 2 जून को भी पैनल पंजाब के नेताओं से बात करेगा। वैसे बता दें कि कैप्टन और सिद्धू के बीच तकरार कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी दोनों में इस तरह की तकरार देखने को मिलती रही है, लेकिन चुनाव से चंद महीने पहले पार्टी में जारी इस तहर की कलह उसकी सेहत के लिए आत्मघाती साबित हो सकती है।

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