राष्ट्रपति चुनावः पशोपेश में टीएमसी और मझधार में यशवंत! जानें, कैसा है राजनीतिक समीकरण

शिवसेना के उद्धव ठाकरे को भी अपने सांसदों की बगावत के सामने घुटने टेकने पड़े। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करना उसकी मजबूरी हो गई । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी यशवंत सिन्हा की बजाय द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया।

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झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे पूर्व नौकरशाह यशवंत सिंह मझधार में फंस गए हैं । विपक्ष की तरफ से घोषित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोरदार झटका दे दिया है। यशवंत सिन्हा पश्चिम बंगाल वोट मांगने अभी तक नहीं गए हैं, जबकि चुनाव में मात्र एक हफ्ते का समय बचा है।

दरअस्ल ममता बनर्जी के एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के प्रति नरम रूख अपनाने से तृणमूल कांग्रेस के सांसद और विधायक भी ऊहापोह की स्थिति में हैं ।

ममता बनर्जी का यू-टर्न
ममता बनर्जी के ऐन वक्त पर अपना फैसला बदलने से उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं । मुख्यमंत्री के इस बयान से कि एनडीए के उम्मीदवार बनाए से पहले बीजेपी विपक्ष के साथ चर्चा कर लेती तो स्थिति अलग होती । ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी ने संपर्क तो किया था लेकिन उम्मीदवार के बारे में नहीं बताया था । ममता ने यशवंत सिन्हा को ठेंगा दिखाते हुए यहां तक कह दिया कि हमारे दिल में आदिवासियों और महिलाओं को लेकर बहुत आदर है । लेकिन हमारे गठबंधन में 16-17 पार्टियां है और मैं एक तरफा फैसला नहीं ले सकती।

शिवसेना मजबूर
शिवसेना के उद्धव ठाकरे को भी अपने सांसदों की बगावत के सामने घुटने टेकने पड़े। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करना उसकी मजबूरी हो गई । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी यशवंत सिन्हा की बजाय द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया ।

क्या करेंगे शरद पवार?
इस तरह के राजनैतिक समीकरण के बीच शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि उन्होंने यशवंत सिन्हा को अपना समर्थन दिया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनकी ओर से इसे लेकर कोई बयान न आने से लोगों में संदेह पैदा हो रहा है।

भाजपा के आदिवासी फैक्टर ने सबको किया चित
एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी हैं। आजादी के 74 साल बाद यह पहला मौका है कि देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा । राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा और 21 जुलाई को परिणाम आएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है।

मझधार में यशवंत सिन्हा
महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के गिरने के बाद ममता बनर्जी को लगने लगा कि यशवंत सिन्हा की हार निश्चित है। ऐसे में सिन्हा का समर्थन करने पर उनकी पार्टी को नुकसान हो सकता है। ऐसे में ममता बनर्जी के यू-टर्न ने यशवंत सिन्हा को बीच मझधार में छोड़ दिया है ।

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