राष्ट्रपति ने स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान-2023 प्रदान किये

विश्व की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, परन्तु यहां विश्व के केवल 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध हैं। इसके अलावा, इस पानी का अधिकांश भाग वर्षा के रूप में प्राप्त होता है, जो नदियों और समुद्रों में बह जाता है।

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 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को यहां स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान-2023 प्रदान किया और जल शक्ति अभियान: कैच द रेन -2023 का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी), जल जीवन मिशन (जेजेएम) और राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) के तहत विभिन्न श्रेणियों में कुल 18 पुरस्कार प्रदान किये।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के जीवन में जल और स्वच्छता का विशेष स्थान है। लेकिन ये मुद्दे महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, क्योंकि आमतौर पर महिलाओं की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने घर में पीने के पानी की व्यवस्था करें। गांवों में उन्हें पीने के पानी के लिए दूर-दूर जाना पड़ता था। पीने के पानी की व्यवस्था करने में न केवल उनका बहुत समय लगता था बल्कि उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ जाता था। आमतौर पर स्कूल व कॉलेज जाने वाली लड़कियां भी अपने बड़ों के साथ पानी की व्यवस्था करने में लगी रहती थीं, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होती थी। इन समस्याओं को दूर करने के लिए भारत सरकार ने विशेष उपाय किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण और जल जीवन मिशन जैसी पहलों के माध्यम से स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान कर रहा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज 11.3 करोड़ से अधिक घरों को नल से पीने योग्य पानी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जो महिलाएं पहले पानी लाने में समय लगाती थीं, अब उस समय का उपयोग अन्य उत्पादक कार्यों में कर रही हैं। नल के स्वच्छ पानी से शिशुओं के स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण सुधार हुआ है जो प्रदूषित पानी के कारण डायरिया और पेचिश जैसी जल जनित बीमारियों के शिकार हो जाते थे।

राष्ट्रपति ने जल संरक्षण और जल प्रबंधन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि हमारे देश में जल संसाधन सीमित हैं और इसका वितरण भी असमान है। विश्व की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, परन्तु यहां विश्व के केवल 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध हैं। इसके अलावा, इस पानी का अधिकांश भाग वर्षा के रूप में प्राप्त होता है, जो नदियों और समुद्रों में बह जाता है। इसलिए जल संरक्षण और इसका प्रबंधन हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। आज हम जलापूर्ति के लिए परंपरागत साधनों की अपेक्षा संस्थागत साधनों पर अधिक निर्भर हैं। लेकिन स्थायी जल आपूर्ति के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के साथ-साथ जल प्रबंधन और जल संचयन के पारंपरिक तरीकों को पुनर्जीवित करना समय की मांग है। जल संरक्षण और इसके प्रबंधन के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना चाहिए। हमें यह प्रयास न केवल अपने लिए बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों के स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य के लिए भी करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि देश के लगभग दो लाख गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस गांव घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि इन गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन प्रणाली मौजूद है। उन्होंने घरेलू कचरे के उचित और पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि अक्सर यह देखा जाता है कि घरों से निकलने वाला ठोस कचरा सार्वजनिक स्थान पर फेंक दिया जाता है और तरल कचरा जलाशयों में चला जाता है। उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक है। हमारे पास एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसमें अधिकांश अपशिष्ट पदार्थों का पुनर्चक्रण हो, तरल अपशिष्ट, भूमिगत जल में न मिल सके और रि-साईकिल के बाद बचे कचरे से खाद बना सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को एक ‘स्वच्छ राष्ट्र’ बनाना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ‘नारी शक्ति’ के बिना ‘जल शक्ति’ फलदायी नहीं हो सकती। सामाजिक समृद्धि के लिए इन दोनों शक्तियों की संयुक्त शक्ति की आवश्यकता है। ‘जल जीवन मिशन’ का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि सभी पुरस्कार विजेताओं द्वारा जल संरक्षण, गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने, अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल संचयन के क्षेत्र में किए जा रहे समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण भारत जल प्रबंधन और स्वच्छता में विश्व समुदाय के सामने एक मिसाल कायम करेगा। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं से आग्रह किया कि वे देश भर में स्वच्छता और जल संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के बारे में अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को बताएं और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करें।

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