देश को किस राह पर ढकेलने की तैयारी में है पॉप्युलर फ्रंट?

पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके राजनीतिक संगठन की गतिविधियां सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर हैं। वर्तमान में संस्था सोशल मीडिया पर पूरी शक्ति से संशोधित नागरिकता कानून, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पीछे पड़ी हुई है।

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वो बाबरी के नाम पर भड़का रहे हैं, लक्षद्वीप पर विद्रोह को तेज करने का कार्य कर रहे हैं, सीएए की नई अधिसूचना के विरुद्ध याचिका दायर कर चुके हैं। देश जब इजरायल के समर्थन के में खड़ा है तो वे फिलिस्तीन की बोली बोल रहे हैं, देश के कदम पर टिप्पणियां वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर रहे हैं। पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ये नई गतिविधियां हैं। जो प्रश्न खड़ा करती हैं कि देश को किस ओर ढकेलने की तैयारी में है ये पॉप्युलर फ्रंट?

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इस संस्था के महासचिव अनीस अहमद ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिसमें संशोधित नागरिकता कानून के अंतर्गत जारी की गई नई अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इसके अलावा लक्षद्वीप को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और वहां चल रही संदेहास्पद गतिविधियों पर लगाम लगाने के प्रशासनिक प्रयत्न को भी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के हनन का रंग दिया जा रहा है। इसके लिए चल रहे अलग-अलग कैंपेन में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) भी शामिल है और बड़े स्तर पर केरल के उसके कार्यकर्ता शामिल हैं। यह संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के हित से अलग इस्लामी कट्टरवादी प्रवृत्ति को अपनाता रहा है। जिस इजरायल ने भारत का समर्थन, अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराके चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से लड़ने के लिए शक्ति दी उसका समर्थन करने के बजाय पीएफआई इस्लामी एजेंडे के अनुसार अपने ही देश की सरकार पर टिप्पणियां कर रहा है।

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लगा रहे आरोप
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस्लामी संस्थाओं के सीधे निशाने पर हैं। इसका ताजा उदाहरण है पीएफआई अध्यक्ष का ट्वीट, जिसमें उन्होंने एक विदेशी इस्लामी कट्टरवाद की भावना से प्रेरित संस्था की खबर का सहारा लिया है।
पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एएमए सलाम अपने ट्वीट में लिखते हैं,

फिर हमसे कहा गया कि, शांति स्थापन के लिए बाबरी छोड़ दें, अब कहा जा रहा है कि गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम अपने घर छोड़ दें। अगला वे चाहते हैं कि हम अपनी नागरिकता छोड़ दें, इस प्रक्रिया में वे हमें भगाने की योजना बना सकते हैं। हिंदुत्व को रोको।

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किसानों से हमदर्दी
2020 से दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान यूनियन आंदोलन के समर्थन करनेवालों में विभिन्न संस्थाओं में से एक है पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया। किसी संस्था का किसी आंदोलन को समर्थन देना गलत नहीं है लेकिन समर्थन देनेवाली संस्था के कार्यकलाप से वह आशंका के भंवर में जरूर फंस जाती है।

पॉप्युलर फ्रंट के अलावा किसान आंदोलन को सिख फॉर जस्टिस भी सहायता दे रहा है और उसके लिए विदेशों में चंदा इकट्ठा कर रहा है।

हिंसात्मक घटनाएं और प्रतिबंध की मांग

2010 में पहली बार खुफिया एजेंसियों ने एक डोजियर तैयार किया। सूत्रों के अनुसार इस डोजियर में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया को इस्लामी संस्थाओं का महासंघ (कॉन्फेडरेशन) बताया गया था, जिसका संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से बताया गया था।

4 जुलाई, 2010 को पीएफआई के सदस्यों ने मलयालम के प्रोफेसर टीजे जोसफ पर हमला करके उनका हाथ काट दिया इसी प्रकरण में तत्कालीन गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत प्रतिबंध लगाने पर चर्चा का उत्तर दिया। जिसमें उन्होंने सूचित किया था कि केरल सरकार से उस समय तक उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं मिला था।

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इस कट्टरवादी इस्लामी संस्था का नाम दंगा भड़काने, जातियों में विद्रोह खड़ा करने आदि में आता रहा है। इसके कारण पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े सदस्यों का नाम नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की जांच में सामने आता रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को वर्ष 2020 में रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें पीएफआई और उसके राजनीतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) पर राज्य में भ्रम फैलाकर दंगे कराने का आरोप लगाया था। इस संबंध में आजमगढ़ और मुजफ्फर नगर जैसे क्षेत्रों में पत्रक भी मिले थे। राज्य में इससे संबंधित प्रकरणों में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इस आधार पर उन संगठनों पर प्रतिबंध की मांग की गई थी।

हाथरस प्रकरण में जातिगत हिंसा को भड़काने के प्रयत्न में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें मथुरा पीएफआई से 5 अक्तूबर 2020 को सिद्दिक कप्पन (मलापुरम, केरल) अतीक उर रहमान (मुजफ्फर नगर) मसूद अहमद (बहराइच) आलम (रामपुर) का नाम है। हाथरस प्रकरण 14 सितंबर 2020 को हुआ था, जिसमें सभी आरोपी गिरफ्तार किया जा चुके हैं और उन पर कार्रवाई हो चुकी है। इस प्रकरण की जांच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएफआई पर धन शोधन (मनी लॉड्रिंग) का प्रकरण दर्ज किया था।

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11 अगस्त 2020 को बेंगलुरू में हुई हिंसा में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के नेता मुजम्मिल पाशा का नाम नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की जांच में सामने आया था। उस पर भीड़ को हिंसा के लिए भड़काने का आरोप था। इस घटना में मुस्लिम भीड़ ने कांग्रेस विधायक अखण्ड श्रीनिवासमूर्ती के घर पर हमला किया गया था।

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