नेपाल में फिर गहराया राजनैतिक संकट! अब हुआ ऐसा

नेपाल में एक बार फिर राजनैतिक संकट उस समय गहरा गया,जब पीएम ओली और विपक्षी पार्टियां दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

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नेपाल में जारी राजनैतिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका लगा है। सरकार बनाने के लिए जुगाड़ में जुटे ओली को यह करारा झटका नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने दिया है। उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए संसद को भंग कर दिया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री ओली के साथ ही विपक्ष ने भी राष्ट्रपति को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार गठन करने का दावा पेश किया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने बड़ा कदम उठाते हुए दोनों के दावों को खारिज कर दिया और मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी। नेपाल में अब 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे।

ओली ने किया था बहुमत का दावा
नेपाल में राजनैतिक संकट उस समय गहरा गया,जब पीएम ओली और विपक्षी पार्टियां दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। ओली ने संविधान के अनुच्छेद 76( 5) के अनुसार फिर से प्रधानमंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के 121 सदस्यों और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल के 32 सांसदों के दावे वाला पत्र सौंपा।

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देउबा ने सौंपा था 149 सांसदों वाला पत्र
इससे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया था। देउबा प्रधानमंत्री पद पर दावा पेश करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे थे।

30 दिन के अंदर साबित करना था बहुमत
बता दें कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को 10 मई को उनके फिर से निर्वाचित किए जाने के बाद संसद में 30 दिन के अदंर बहुमत साबित करना था। आशंका थी कि अगर नई सरकार नहीं बन सकी, तो ओली एक बार फिर संसद को भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।

बहुमत के लिए 136 सीटों की जरुरत
नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ी पार्टी है। इस समय बहुमत साबित करने के लिए 136 सीटों की आवश्यकता है।

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