पीएफआई के निशाने पर प्रधानमंत्री, एनआईए पूछताछ में सामने आए आतंक और टेरर फंडिंग के भयंकर षड्यंत्र को पढ़ दंग हो जाएंगे

सिमी पर प्रतंबिध के पश्चात तीन इस्लामी संगठनों को मिलाकर वर्ष 2006 में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया की शुरुआत की गई। कालांतर में इस संगठन का हाथ देश में हुए विभिन्न आतंकी घटनाओं में पाया गया।

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राष्ट्रीय सुरक्षा अभिकरण (एनआईए) ने पीएफआई के कार्यालयों और संबद्ध लोगों पर शुक्रवार के पूरे दिन कार्रवाई की। इसमें सबसे बड़ा खुलासा पीएफआई के सदस्य ने किया है कि, उसके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली थी।

पीएफआई के फुलवारी शरीफ मॉड्यूल के भंडाफोड़ ने षड्यंत्रों की बड़ी सूची ही खोल दी। जिसके तारों को जोड़कर एनआईए ने जब जांच शुरू की तो देशद्रोह के बड़े षड्यंत्र का खुलासा हुआ। 23 सितंबर 2022 को देश में पीएफआई के कार्यालयों और सदस्यों के यहां हुई छापा कार्रवाई इसी का हिस्सा थी। जिसमें पकड़ गए पीएफआई सदस्य शफीक पैठ ने बताया है कि, 12 जुलाई को पटना में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली उनके निशाने पर थी। उस रैली में पीएफआई के सदस्य घुसकर आतंक फैलाना चाहते थे। इसके लिए आतंकी संगठन ने पोस्टर बैनर भी छापे थे।

देश के विरुद्ध विदेश से करोड़ो का धन
पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के देश विरोधी अभियान के लिए देश विदेश से 120 करोड़ रुपए एकत्रित हुए थे। शफीक पैठ के अनुसार जितना पैसा पीएफआई के एकाउंट में जमा किया गया था, उसका दोगुना धन नकदी के रूप में आया था। इस सबका उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना था। जिसके लिए हिंदुओं की हत्या, धर्मांतरण करने का षड्यंत्र रचा गया है।

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देशव्यापी कार्रवाई में 106 गिरफ्तार
शुक्रवार 23 सितंबर को हुई कार्रवाई में देश भर से 106 आतंकी गतिविधियों में संलिप्त आरोपियों का गिरफ्तार किया गया है। इसमें सबसे अधिक आरोपी केरल से गिरफ्तार हुए हैं। केरल से 22 पीएफआई सदस्य गिरफ्तार हुए हैं। इसके विरोध में केरल बंद का आयोजन भी पीएफआई ने किया था।

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