प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर याद करते हुए आदरांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री ने 6 जुलाई को ट्वीट कर कहा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर आदरांजलि। वाणिज्य और उद्योग जैसे क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है। वे अपने विद्वतापूर्ण स्वभाव और बौद्धिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे।”
Paid homage to Dr. Syama Prasad Mookerjee in Parliament House. pic.twitter.com/KPq6mYNY3F
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2022
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, “एक समय जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के संकल्प के लिए अपना बलिदान देकर कश्मीर से परमिट राज खत्म कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया।”
क्या है सत्ता का मूल उद्देश्य?
शाह ने आगे कहा, “डॉ. मुखर्जी जी के इस संघर्ष और त्याग के हम सदैव ऋणी रहेंगे। डॉ. मुखर्जी एक अद्वितीय चिंतक थे जिनका मानना था कि सत्ता का मूल उद्देश्य राज करना नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना है। उनका सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का दर्शन और भारत की मूल संस्कृति के अनुरूप नीतियों को अपनाने के विचार हमेशा हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे।”
एक समय जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के संकल्प के लिए अपना बलिदान देकर कश्मीर से परमिट राज खत्म कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया।
डॉ. मुखर्जी जी के इस संघर्ष और त्याग के हम सदैव ऋणी रहेंगे। pic.twitter.com/RfEZUtLxcr
— Amit Shah (@AmitShah) July 6, 2022
नड्डा ने भी किया याद
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी डॉ मुखर्जी को याद करते हुए उन्हें आदरांजलि दी। उन्होंने भाजपा मुख्यालय में मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 6 जुलाई को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी औद्योगिक नीति से भारत को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया।
नड्डा ने भाजपा मुख्यालय में डॉ मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती मना रहे हैं। सभी को मालूम है कि 6 जुलाई, 1901 को महान राष्ट्रभक्त, महान देभक्त, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उद्योतक और महान शिक्षाविद् स्व. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। एक महान विचारक, महान शिक्षाविद् डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बहुत कम समय में औद्योगिक नीति से भारत को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया।
नहीं चलेंगे ‘एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान’
नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी ने जवाहर लाल नेहरू के विचारों से अलग होकर इस्तीफा दे दिया था और भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने नारा दिया कि ‘एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान’ नहीं चलेंगे। इस बात को लेकर 11 मई को जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट के सत्याग्रह किया।
रहस्मय तरीके से निधन
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 11 मई को उनकी गिरफ्तारी हुई और श्रीनगर की जेल में 23 जून की प्रात: उनका रहस्मय तरीके से निधन हुआ। भारतीय जनसंघ की स्थापना का कारण नेहरू की तुष्टीकरण की नीति थी, जिससे वो दुखी और चिंतित थे। मुखर्जी ने नेहरू से कहा कि वे जम्मू-कश्मीर में जो धारा 370 लगा रहे हैं, वो देश के लिए घातक है।
नड्डा ने कहा कि रहस्मय तरीके से हम लोगों ने अपने प्रिय नेता को खो दिया, लेकिन भारतीय जनसंघ और भाजपा उनकी यात्रा को सफल बनाने के लिए वर्षों से लगे रहे। भाजपा अध्यक्ष ने इस बात पर खुशी जताई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और अमित शाह की रणनीति के तहत धारा 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया।
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