एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ऐसे दिया जोर का झटका!

पाकिस्तान पिछले तीन साल यानी 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर निकालने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं।

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पाकिस्तान की वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के सारे प्रयास धरे के धरे रह गए। संस्था ने उसे एक बार फिर ग्रे लिस्ट में बरकार रखा है। आर्थिक तंगी और महंगाई से परेशान पाकिस्तान को एफएटीएफ के इस निर्णय से जोर का झटका लगा है।

 पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने का अर्थ है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ समेत अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों से निवेश और सहायता के लिए आर्थिक सहायता मिलने में काफी मुश्किलें आएंगी।

ये है बड़ा कारण
दरअस्ल हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों का पालना पाकिस्तान को भारी पड़ रहा है। हालांकि पाकिस्तान इन पर कार्रवाई करने का ड्रामा तो करता है, लेकिन सच्चाई पूरी दुनिया को मालूम है। इसलिए हर बार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की उसकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। एफएटीएफ चेयरमैन मार्क्स प्लीयर ने घोषणा करते हुए कहा कि हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान विफल रहा है। इसलिए अभी भी इसे ग्रे लिस्ट में रखा गया है।

पिछले तीन साल से ग्रे सूची में पाकिस्तान
बता दें कि पाकिस्तान पिछले तीन साल यानी 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर निकालने के लि एड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं। पाकिस्तान और आतंकवादियों के मजबूत नेटवर्क के कारण इमरान सरकार को इससे बाहर निकलने में परेशानी हो रही है।

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वर्चुअल सत्र में निर्णय
21 जून को पेरिस में एफएटीएफ का वर्चुअल सत्र शुरू हुआ था, जिसका समापन 25 जून को हुआ। बैठक में अंतर्राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने पाकिस्ताना की अनुपालन रिपोर्टों की समीक्षा की और अंत में एफएटीएफ ने निर्णय लिया कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।

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एपीजी ने दी थी ये सलाह
बता दें कि इसी माह की शुरुआत में एफएटीएफ के एक क्षेत्रीय सहयोगी संस्था ने भी पाकिस्तान को एनहांस्ड फॉलअप सूची में बनाए रखा था। इसके साथ ही उसने मनी लॉन्ड्रिंग रोधी और आतंकवाद को फंडिंग जैसे मामलों में कड़े कदम उठाने की सलाह दी थी। उसी समय ये निश्चित हो गया था कि इस बार भी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा। एफएटीएफ की क्षेत्रीय शाखा एशिया प्रशांत समूह( एपीजी) ने आंतकी गतिविधियों पर रोक लगाने और आर्थिक अपराध पर नियंत्रण नहीं कर पाने को लेकर यह निर्णय लिया था।

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