फोन टैपिंग का रहा है पुराना इतिहास! जानिये, कब किसका फोन किया गया टैप

फोन टैपिंग की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के जमाने में ही हो गई थी। उस समय यह आरोप खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पर लगाया था।

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देश में फोन टैपिंग और जासूसी कांड का पुराना इतिहास रहा है। राजनीति में जासूसी और फोन टैंपिंग का इतिहास बहुत पुराना है। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सांसद, उद्योगपति और बॉलीवुड से जुड़ी हस्तियां शामिल रही हैं। जासूसी कांड के कारण देश में सरकारें गिरने का भी इतिहास रहा है।

फोन टैपिंग की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के जमाने में ही हो गई थी। उस समय यह आरोप खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पर लगाया था। लेकिन तब इस मामले को कोई तवज्जो नहीं दी गई थी।

हेगड़े को गंवाना पड़ा था मुख्यमंत्री का पद
फोन टैपिंग मामले को लेकर 1988 में सरकार गिरने का इतिहास है। कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने पांच साल तक सीएम की कुर्सी अपने पास रखी। उनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें प्रधानमंत्री के दावेदार के रुप में देखा जाने लगा था। लेकिन 1988 में फोन टैपिंग का विवाद इतना बढ़ा कि उन्हें सीएम पद से त्याग पत्र देना पड़ गया।

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चंद्रशेखर को छोड़ना पड़ा था पीएम पद
1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर फोन टैप कराने का आरोप लगा था। इस आरोप में उन्हें अपनी कुर्स गंवानी पड़ी थी।

फोन टैपिंग का इतिहास

  • 1959 में सेना प्रमुख जनरल केएम थिमाया ने अपने और आर्मी के फोन टैप करने का आरोप लगाया था।
  • 1962 में नेहरु सरकार पर एक और मंत्री टीटी कृष्णाचारी ने फोन टैपिंग का आरोप लगाया था।
  • 1983 में कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे उन्होंने पांच साल तक सीएम की कुर्सी अपने पास रखी। लेकिन 1988 में फोन टैपिंग का विवाद इतना बढ़ा कि उन्हें सीएम पद से त्याग पत्र देना पड़ गया।
  • 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेकर पर फोन टैप कराने का आरोप लगा था। इस आरोप में उन्हें पीएम प गंवाना पड़ा था।
  • 1996 में इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 में केंद्र और राज्य सरकारों को इस बात के अधिकार दिए गए थे कि वो जनहित में या इमरजेंसी में मैसेज इंटरसेप्ट कर सकती हैं, लेकिन 1996 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर दिशानिर्देश दिया था कि अवैध तरीके से पोन टैंपिंग गंभीर मामला है। इसलिए इसकी अनुमति कुछ निर्धारित समय तक ही दी जानी चाहिए।
  • जून 2004 से मार्च 2006 के बीच सरकार की एजेंसियों ने कई  विपक्षी नेताओं के फोन टेप किए थे।
  • 2006 में अमर सिंह के फोन टैप करने को लेकर काफी कोहराम मचा था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उसे जारी करने पर रोक लगा दी थी।
  • 2007 के अक्टूबर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फोन टैप करने का मामला उजागर हुआ था। नीतीश कुमार तब अपने एक सहयोगी से बात कर रहे थे कि कैसे बिहार के लिए केंद्र सरकार से अधिक से अधिक पैसे मांगे जाएं।
  • 2008 के जुलाई महीने में यूपीए सरकार के दौरान जब मनमोहन सिंह को विश्वासमत प्राप्त करना था, तब केंद्र सरकार की एजेंसी ने सीपीएम महासचिव प्रकाश करात समेत तीसरे मोर्चे के कई नेताओं के फोन टेप कराए थे, ताकि पता चल सके कि सरकार के खिलाफ क्या रणनीति बनाई जा रही है।
  • 2009 में देश के कई उद्योगपति और नेताओं का फोन टैप किया गया,जिसका खुलासा अभी हो रहा है।
  • 2016 में महाराष्ट्र में भी फोन टैप किया गया था। वह मामला अभी भी सुर्खियों में है। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा उस समय के गृह मंत्री और कुछ अन्य मंत्रियों के फोन टैप किए जाने के मामले की राज्य सरकार द्वारा जांच कराई जा रही है।
  • 2021 में पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से विपक्षी नेताओं के साथ ही कुछ अन्य हस्तियों के फोन टैप कराने का प्रकरण सुर्खियों में है। विपक्ष इसे लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है।
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