पेगासस जासूसी प्रकरण: केंद्र सरकार को लगता है, ‘दाल में कुछ काला है’

पेगासस जासूसी सॉप्टवेयर के अंतर्गत आरोप लगाया गया है कि भारत के 300 लोगों के फोन डेटा से समझौता किया गया। इसके अंतर्गत एक कन्सोर्टियम था जिसे वैश्विकस्तर पर पचास हजार लोगों के लीक डेटा बेस में की जानकारियां मिली थीं।

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जासूसी के प्रकरण से संसद का पहला दिन प्रभावित रहा। विपक्ष ने इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा निर्मित स्पाइवेयर पेगासस से दो मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराने के सनसनीखेज दावे पर सरकार को घेरा तो सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तर दिया कि वर्षाकालीन सत्र के एक दिन पहले इस दावे का सामने आना कोई संयोग नहीं है। यानी सरकार को लगता है कि इस रिपोर्ट के पीछे दाल में कुछ काला है।

पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से फोन टैपिंग कराने के प्रकरण के सामने आने के बाद विपक्ष हमलावर है। इसकी भेंट संसद का पहला दिन चढ़ गया। इस दिन होना ये था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नए मंत्रियों के साथ सदन में हिस्सा लेकर कार्यवाही को आगे बढ़ाते। परंतु, एक दिन पहले ही पेगासस जासूसी के आरोप से विपक्ष तिलमिलाया हुआ था। जिसके कारण कार्यवाही प्रभावित रही। राहुल गांधी के फोन टैपिंग के मुद्दे पर कांग्रेस ने गृह मंत्री का त्यागपत्र मांग लिया।

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सरकार का उत्तर

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, मैं खुफिया जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस द्वारा कुछ लोगों के फोन डेटा से समझौता करने मामले में बयान देने के लिए खड़ा हुआ हूं। एक बहुत सनसनीखेज कहानी वेब पोर्टल ने छापी है पिछली रात। इस कहानी के आधार पर बहुत से आरोप लग रह हैं। यह रिपोर्ट संसद के वर्षाकालीन सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले सामने आई है। यह कोई संयोग नहीं है। उस रिपोर्ट में कोई तथ्यपरकता नहीं है और प्राथमिक रूप से सर्वोच्च न्यायालय समेत सभी ने स्पष्ट रूप से उसे नकार दिया है। 18 जुलाई, 2021 की रिपोर्ट एक प्रयत्न है भारत के लोकतंत्र और उसकी मजबूत संस्थाओं को मलिन करने का।

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