ओवैसी ऐसे बिगाड़ेंगे ममता का खेल?

वेस्ट बंगाल में 31 प्रतिशत वोट के साथ मुस्लिम मतदाता किंगमेकर की भूमिका अदा करते हैं। 2011 में ममता बनर्जी की बंपर जीत के पीछे इसी वोट बैंक को माना जाता है। राज्य के 294 में से 90 सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। लेकिन फुरफुरा शरीफ दरगाह के अब्बास सिद्दीकी के चुनाव में उतरने से ममता के इस स्टॉन्ग वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है।

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब मात्र तीन महीने बाकी रह गए हैं। इस चुनाव में अभी तक भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी में टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन 3 जनवरी को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के ऐलान से राज्य में चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प होता दिख रहा है। ओवैसी इस चुनाव में अकेले नहीं है, बल्कि वो फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ मैदान में उतरेंगे। इससे तृणमूल कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक पर सीधा असर पडने की बात कही जा रही है।

किंगमेकर की भूमिका में मुस्लिम मतदाता
बता दें कि वेस्ट बंगाल में 31 प्रतिशत वोट के साथ मुस्लिम मतदाता किंगमेकर की भूमिका अदा करते हैं। 2011 में ममता बनर्जी की बंपर जीत के पीछे इसी वोट बैंक को माना जाता है। राज्य के 294 में से 90 सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। लेकिन फुरफुरा शरीफ दरगाह के अब्बास सिद्दीकी के चुनाव में उतरने से ममता के इस स्टॉन्ग वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो ममता का तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का सपना टूट जाएगा।

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ओवैसी ने मुलाकात के बाद किया ऐलान
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने 3 जनवरी को फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की। उसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि उन्हें अब्बास सिद्दीकी का समर्थन प्राप्त है। ओवैसी ने कहा कि वो जो फैसला करेंगे, हमें मंजूर होगा। बंगाल के हुगली जिले में स्थित फुरफुरा शरीफदरगाह काफी मशहूर है। दक्षिण बंगाल में इस दरगाह का काफी प्रभाव है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के दौरान इसी की मदद से ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे।

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अन्य नेताओं से भी मिले ओवैसी
अब्बास सिद्दीकी के आलावा ओवैसी ने पीरजादा नौशाद सिद्दीकी, बैजीद अमीन, सब्बीर गफ्फार समेत कई प्रभावशाली नेताओं से मुलाकात की। बता दें कि 38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी कभी ममता बनर्जी के कट्टर समर्थक हुआ करते थे। लेकिन कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाप मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने ममता पर मुसलमानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। सिद्दीकी की यह नाराजगी ममता बनर्जी के लिए काफी महंगा साबित हो सकती है।

बीजेपी को होगा लाभ
ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से बीजेपी को सीधा लाभ होता दिख रहा है। मुस्लिम वोट कटने से ममता बनर्जी को जहां भारी नुकसान होगा, वहीं बीजेपी के लिए यह मुनाफे का सौदा होगा, क्योंकि मुसलमानों में वैसे भी बीजेपी की पैठ न के बराबर ही है।

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