महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने उनके ड्रीम प्रोजेक्ट जलयुक्त शिवार योजना की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने एक समिति गठित की है। 1 दिसंबर को इस संबंध में जलसंधारण विभाग ने आदेश जारी किया है।
समिति गठित
पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय कुमार की अध्यक्षता में यह समिति गठित की गई है। इस समिति में एंटी करप्शन ब्यूरो में कार्यरत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, जलसंपदा विभाग के मुख्य अभियंता संजय बेलसरे के साथ ही संबंधित अन्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का समावेश है। इस समिति को इस योजना की जांच करने का आदेश जारी किया गया है।
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कैग ने उठाए थे सवाल
हर साल पांच हजार गांवों को दुष्कालमुक्त करने का दावा करनेवाले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वर्ष 2014 से 2019 तक इस अभियान को चलाया था। लेकिन इस योजना में भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए गए थे। कैग ने इस योजना में गड़बड़ी होने की शंका जताई थी। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य के मंत्रिमंडल ने 14 अक्टूबर को इसकी जांच करने का निर्णय लिया था। योजना के तहत छह लाख से अधिक काम पूर्ण किए गए हैं। इस हाल में किस काम की जांच की जाएगी, इस बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं। इस योजना में लगभग छह सौ शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं। समिति को यह जांच छह महीने में करनी है। सिफारिश के मुताबिक उसे जांच की प्रगति हर महीने सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना है।
प्रवीण दरेकर ने की आलोचना
भारतीय जनता पार्टी और विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा है कि राज्य सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना की जांच का निर्णय लिया है। इस जांच और विधानसभा के विरोधी पक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से कोई लेना-देना नहीं है। उनका आरोप है कि यह जांच बदले की भावना से की जा रही है। इस योजना में कमियां निकालना ही सरकार का मुख्य मकसद है।