पाकिस्तान के तथाकथित पत्रकार का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वह बता रहा है कि, कैसे वह पांच बार भारत आया और सात शहरों में घूमकर भारत की जानकारी आईएसआई को दी। इसमें पत्रकार ने दावा किया है कि, उसे यूपीए-दो काल में उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी ने एक आतंकवाद विषय के सेमिनार में आमंत्रित किया था। जिसके कारण अब लोग प्रश्न उठा रहे हैं कि, यूपीए के शासनकाल में क्या इतनी पाकिस्तान परस्ती की जाती थी?
इस आईएसआई एजेंट का नाम नुसरत मिर्जा है। जो अपने आपको पत्रकार कहता है परंतु, पेशे से वह इस्लामाबाद का इंजीनियर है। नुसरत वर्ष 2005 से 2011 के बीच पांच बार भारत आया था। 2010 में उसे तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने निमंत्रित किया था। उस समय भारत में आतंकवाद पर सेमिनार था, जिसमें नुसरत मेहमान था। इसके बाद वर्ष 2011 में मिल्ली गजट के संस्थापक और संपादक जफरुल इस्लाम ने बुलाया था।
नुसरात मिर्जा का कुबुलनामा
(वायरल वीडियो की ट्रांसक्रिप्ट) मुझसे कहा कि, भाई ये जो जानकारी लाए हो, ये उसे दे दो जनरल अशफाक कियानी (आईएसआई के महानिदेशक) को, मैंने कहा कि, मैं तो नहीं दूंगा आप दे दो, फिर आईएसआई के बिग्रेडियर का फोन आया, उसने कहा ऐसी जानकारी यदि और मिल जाए तो अच्छा होगा। मैंने कहा इतनी जानकारी बहुत नहीं है, इसी से काम करो। तो ऐसा नहीं है कि, आईएसआई को जानकारी नहीं है, ये वहां के हालात जानते हैं। वहां के सारे शहरों के बारे में इनके पास जानकारी है। उनका रहन-सहन कैसा है? क्या कमजोरियां हैं? ये सब हमारी आईएसआई जानती है। मैंने दौरे किये वहां के, चंडीगढ़ का दस दिन का था, उसके बाद 2006 में हैदराबाद दक्कन बैंगलोर और चेन्नई गया। इसके बाद एक महीने के लिए गया तो कलकत्ता भी गया। पटना, लखनऊ गया। वहां उस समय जमाने में मेरे पास इलाहाबाद का भी वीजा था। उस समय कसूरी साहब विदेश मंत्री थे (खुर्शीद महमूद कसूरी – पाकिस्तानी विदेश मंत्री वर्ष 2002 से 2007), उन्होंने मेहरबानी करके मुझे सात शहरों का वीजा दिला दिया था। भारत के लोग तीन शहरों का वीजा देते हैं, मुझे उन्होंने सात शहरों का वीजा दिला दिया। लेकिन हम इलाहाबाद नहीं जा पाए, वहां कर्फ्यू लगा हुआ था।
वहां के जो ऊर्दू अखबार हैं, उसके सभी संपादक मेरे दोस्त हैं, जो टीवी चैनल हैं, जम हम जाते थे तो दस-बीस चैनलों में इंटरव्यू देते थे।
वर्ष 2010 में फिर हमें बुलाया गया तो, हामिद अंसारी साहब, उस समय नायब सदर (उपराष्ट्रपति) थे, तो उन्होंने बुलाया था, वहां टेरोरिज्म पर सेमिनार था। इसके बाद 2011 में हमें जफरुल इस्लाम साहब ने बुलाया था, जो मिल्ली गजट के संपादक थे।
EXPLOSIVE!
Nusrat Mirza, a Pakistani columnist who has visited India many times during the Congress rule boasts on camera that he used to pass on information collected during his visits to the ISI, claims he was invited by Hamid Ansari and the Milli Gazette’s Zafarul Islam Khan. pic.twitter.com/6Rrn3xvRJu
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 10, 2022
बिना मतलब का सवाल
कांग्रेस पार्टी के नेता उदित राज से टाइम्स नवभारत ने नुसरत मिर्जा के कुबुलनामे पर प्रश्न पूछा तो, उन्होंने से इसे भाजपा का षड्यंत्र बना दिया।
अरे वो पूरे शहर में जाकर घूम लें, लाखों लोगों की शादी होती जाती रहती है। मुजफ्फरक नगर में शादी होती है, लोग आते जाते रहते हैं, एक नहीं हजारो आदमी आते जाते रहते हैं। आश्चर्य होता है कि, आपने बिना मतलब के सवाल खड़ा कर दिया। बिना वजह समय बर्बाद करते रहते हैं आप लोग।
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पद मुक्त होते ही हामिद अंसारी के बोल बदले
यूपीए शासनकाल में वर्ष 2007 से 2017 तक हामिद अंसारी भारत के उपराष्ट्रपति रहे। 1961 में भारतीय विदेश सेवा में चयनित हुए थे और चार दशकों तक सेवा में रहे। 90 के दशक में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थाई प्रतिनिधि बनाया गया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं।
हामिद अंसारी के बयान लंबे काल से विवाद को जन्म देते रहे हैं। उपराष्ट्रपति पद से हटने के बाद उन्होंने कहा कि, भारत में असहिष्णुता बढ़ी है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की काल्पनिक व्यवस्था को लागू करने वाले ट्रेंड उभरे
विवादों से जफरुल इस्लाम का पुराना नाता
जफरुल इस्लाम मुसलमानों के मुद्दों को उठाने के नाम पर विवादास्पद बयानबाजी करते रहे हैं। वे दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे हैं। विवादों से उनका पुराना नाता है। वर्ष 2020 में अपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण उन पर देशद्रोह का प्रकरण दर्ज हो चुका है। गोधरा में कारसेवकों के जलाए जाने का भी मिल्ली गजट समर्थन कर चुका है।
इस पूरे प्रकरण में जिन लोगों का नाम नुसरत मिर्जा ने लिया है, उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
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