हिंदू लाइव्स मैटर… ममता राज की निर्ममता पर खड़े हुए 30 देश और 50 शहर के भारतीय

पश्चिम बंगाल में मतदान प्रक्रिया के बीच हिंसा की घटनाएं लगातार चलती रही हैं। यह मतगणना के बाद तीव्र हो गईं।

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पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणामों के बाद शुरू हुई हिंसा में कई लोगों को प्राण गंवाने पड़े, लोगों घर तोड़ दिये गए, जला दिये गए और प्रशासन बेदम बैठा तमाशा देर रहा है। मंत्री की गाड़ी पर हमला होता है और सुरक्षा में लगे लोग कुछ नहीं करते। अस्मत लुट जाती है और प्रशासन कहता है घटना हुई ही नहीं। यह सब हृदयविदारक है। भारतीय हिंदुओं का दिल दुखता तो है लेकिन वह पड़ोसी के घर को जलते देखने की मानसिकता से उबर नहीं पाता। लेकिन अब वैश्विक पटल पर इस पीड़ा को समझते करते हुए प्रदर्शन होने लगे हैं।

विश्व के 30 देश और 50 शहरों में ‘हिंदू लाइव्स मैटर’ के बैनर तले लोगों ने प्रदर्शन किया। यह उन अश्रु और चीखों की परिणति है जिसे वैश्विक पटल ने आभासित किया। विश्व के जिन देशों से प्रदर्शन के चित्र मिल पाए उन्हें भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित मालविया ने अपने ट्वीटर अकाऊंट से प्रेषित किया है। इसमें कुल चार छाया चित्र हैं जिनमें दो एक ही स्थान के हैं।

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विदेश में चल रहा विरोध
यह प्रदर्शन अब भी चल रहा है। इसका एक कार्यक्रम दिया गया है जिसे अलग-अलग प्लेटफार्म से हिंदुजन और संस्थाओं ने सोशल मीडिया पर वायरल किया है। इसमें उडुप्पी की निवासी और ऑक्सफोर्ड में पढ़नेवाली छात्रा रश्मी सामंत भी सम्मिलित हैं। रश्मी अपने हिंदू होने का दर्द ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भुगत चुकी हैं। वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं। लेकिन उनके विरुद्ध भारतीय मूल के लोगों ने ही साजिश रचकर उनकी बदनामी कर दी। अंततोगत्वा रश्मी सामंत ने अपने पद त्यागपत्र दे दिया। यह मुद्दा इसके बाद भारतीय संसद में भी गूंजा था।

क्रोधित है हिंदू
पश्चिम बंगाल में प्रशासन को जो हिंसा नहीं दिख रही उसे चीख-चीखकर हिंदू संगठन के लोग बता रहे हैं। लेकिन सरकार की आंखें बंद, प्रशासन मौन और लोगों के प्राण संकट काल में है।

हिंदू जनजगृति समिति के राज्य प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने तो पूरी हिंसा का लेखाजोख ही प्रस्तुत कर दिया लेकिन इसका संज्ञान लेनेवाला कोई नहीं है।

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बंगाल में सबकुछ सील
आरोप है कि, पश्चिम बंगाल में सारी जानकारियां ममता राज में सील कर दी गई हैं। राज्यपाल, प्रदेश के दो शीर्ष अधिकारियों को हिंसा की जानकारियों के साथ बुलाते हैं तो वे हाथ झुलाते पहुंच जाते हैं। वे भले ही राज्यपाल जैसे पद की गरिमा को ठेस न पहुचांने के लिए पहुंच गए हों लेकिन, राज्य की परिस्थिति और हिंदुओं के विरुद्ध जघन्य अपराधों की जानकारी न देना भी गरिमा को ठेस पहुंचाने से कम नहीं हैं। इसका प्रदर्शन राज्यपाल का ट्वीट भी कर रहा है।

https://twitter.com/jdhankhar1/status/1391032201408507908

ममता के निर्मम आलाप
ऐसा नहीं है कि, राज्य में चल रहे घटनाक्रमों पर मुख्यमंत्री जी शांत हैं। वो संसद में डंके की चोट पर कह रही हैं कि, भाजपा को हार पच नहीं रही है। मैंने कभी हिंसा का समर्थन नहीं किया। वे लोग झूठी बातें फैला रहे हैं।

बंगाल की राजनीति को जाननेवाले कहते हैं कि, जीत का माद्दा अलग होता है, जो मुख्यमंत्री के सिर चढ़कर बोल रहा है। इस बीच बंगाल में कोई शांत हैं तो वो हैं हिंदू, उनके शव, उनकी चीख और रक्षा करने की गुहार। फिर भी मुख्यमंत्री तो सरकार हैं उनकी बातें आधिकारिक होती हैं, जब वे कह रही हैं कि ऑल इज वेल तो वेल… विचार करने योग्य बात है कि उनका प्रशासन केंद्रीय मंत्री की रक्षा नहीं कर पाता तो उस दल के कार्यकर्ताओं की रक्षा क्या केरेगा?

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