हेलो नहीं,वंदे मातरम से शुरू करें बातचीत, सांस्कृतिक मंत्री मुनगंटीवार की घोषणा

सन् 1800 में जब से टेलीफोन अस्तित्व में आया तब से हम हेलो शब्द के साथ बातचीत शुरू कर रहे हैं। अब सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हेलो की जगह वंदे मातरम से बातचीत शुरू करने की घोषणा की है।

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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि यह वर्ष भारतीय स्वतंत्रता का अमृत उत्सव वर्ष है। अमृत ​​महोत्सव वर्ष के अवसर पर महाराष्ट्र के सभी सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी फोन पर हेलो कहने के बजाय वंदे मातरम से बातचीत शुरू करें।

सांस्कृतिक मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान है। यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति भारतीय भावनाओं का प्रतीक है। 1875 में बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित, इस गीत ने उस समय के स्वतंत्रता सेनानियों में जोश भरने का काम किया। बंकिमचंद्र ने ‘हे ​​माता, मैं आपको नमन करता हूं’ की भावना व्यक्त करते हुए उनके हृदय में देशभक्ति की एक चिंगारी जगा दी। भारतीय मन का केंद्र बिंदु इस रचना का एक-एक शब्द बोलते ही देशभक्ति की भावना जागृत हो जाती है। भारतीय स्वतंत्रता के अमृत उत्सव के वर्ष में, हम विदेशी शब्द हेलो को छोड़ने जा रहे हैं और इसके बजाय सरकारी कार्यालयों में वंदे मातरम से बातचीत शुरू करेंगे।

सन् 1800 में जब से टेलीफोन अस्तित्व में आया तब से हम हेलो शब्द के साथ बातचीत शुरू कर रहे हैं। अब सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हेलो की जगह वंदे मातरम से बातचीत शुरू करने की घोषणा की है।

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