बिहार में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति जब से जेडीयू भाजपा से अलग हुई है, तब से ही मिलते रही है। इसी क्रम में एक और उदाहरण देखने को मिला है। 22 मार्च से नवरात्रि और रमजान दोनों का शुभारंभ होने जा रहा है, लेकिन रियायत केवल मुसलमन कर्मचारियों को दी गई है। उन्हें रमजान के दौरान एक घंटा पहले आने और एक घंटा पहले जाने का फरमान जारी किया गया है। लेकिन हिंदुओं के त्योहार नवरात्रि पर किसी तरह की छूट नहीं दी गई है।

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार के इस फरमान पर सोशल मीडिया पर नेटिजंस खुलकर आलोचना कर रहे हैं। वे बिहार की महागठबंधन सरकार के इस फरमान पर सवाल दाग रहे हैं कि जब मुस्लमानों को एक घंटा पहले आने और जाने की छूट दी गई है तो हिंदुओं के लिए इस तरह का कोई आदेश क्यों नहीं जारी किया गया है।
वोटों की राजनीति जारी
बिहार में वोटों के लिए गंदी राजनीति की परंपरा रही है। मुसलमानों के वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें खुश करने में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ ही नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी पीछे नहीं रही है। अब संयोग से दोनों साथ हैं। नीतीश कुमार जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं, वहीं लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव एक बार फिर उपमुख्यमंत्री बन गए हैं। दोनों मिलकर बिहार में एक बार फिर से जातिवादी ताकतों को उभारकर अपना राजनीति भविष्य पक्का करना चाहते हैं। इस कारण बिहार में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।