नेपाल चुनावः कम्युनिस्ट ओली इसलिए खेल रहे हैं हिंदुत्व कार्ड!

करीब पांच दशक तक कम्यूनिस्ट रहे और खुद को नास्तिक कहते रहने वाले नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस बार खुलकर हिंदुत्व कार्ड खेल रहे हैं।

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भारत के पड़ोसी देश नेपाल में जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे राजनैतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। करीब पांच दशक तक कम्यूनिस्ट रहे और खुद को नास्तिक कहते रहने वाले नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस बार खुलकर हिंदुत्व कार्ड खेल रहे हैं। जाहिर तौर पर उनकी नजर देश के 85 प्रतिशत हिंदू मतदाताओं पर है।

इस बार के चुनाव में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी( एनसीपी) के ही दो धड़ों में मुख्य मुकाबला है। एक धड़े का नेतृत्व जहां खुद ओली कर रहे हैं, वहीं दूसरे धड़े का नेतृत्व पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड कर रहे हैं।

दो  चरणों में मतदान
बता दें कि 20 दिसंबर 2020 को ओली ने अचानक संसद भंग करने की घोषणा कर दी थी। उसके बाद यहां मध्यावधि चुनाव कराए जा रहे हैं। इसकी घोषणा 9 फरवरी को की गई है। दो चरणों में होने वाले इस चुनाव में पहले चरण का मतदान 30 अप्रैल को, जबकि दूसरे चरण का मतदान 10 मई को कराया जाएगा।

खुलकर खेल रहे हैं हिंदुत्व कार्ड
देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के एक धड़े के प्रमुख ओली इस चुनाव में हिंदुत्व कार्ड खुलकर खेल रहे हैं। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो गुट होने के बाद उनकी चुनौतियां बढ़ गई हैं। ओली अपनी पार्टी को जीत दिलाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और कोरोना संकट के बीच भी चुनाव प्रचार को आक्रामक बनाए हुए हैं।

इन नीतियों पर चल रहे हैं ओली
बता दें कि 2008 से पहले तक नेपाल दुनिया का अकेला हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन बाद में इसे धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया। लेकिन हिंदू बहुल इस देश में अभी भी हिंदू और हिंदुत्व का जोर है। इसे ओली से बेहतर और कौन समझ सकता है? इसलिए वे  इस बार हिंदुत्व कार्ड खुलकर खेल रहे हैं। उन्होंने अपनी राजनीति चुनौतियों को मात देने के लिए दो प्रमुख नीति अपनाई है। पहला वे असंतुष्टों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं, वहीं खुद को हिंदू समर्थक साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

पूजा और भजन में रमे रहे ओली
नेपाल में 20 अप्रैल को चैत्र महाष्टमी के रूप में मनाया गया। इस मौके पर ओली अपने आधिकारिक निवास पर “पूजा और भजन” में रमे हुए दिखाई दिए। इससे पहले ओली ने दावा किया था कि भगवान श्री राम का असली जन्मस्थान नेपाल में ही है। उन्होंने भारत में अयोध्या को भगवान श्री राम का जन्म स्थान मानने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने नेपाल में भव्य श्री राम मंदिर बनाने की घोषणा भी की थी। 20 अप्रैल को पूजा और भजन के दौरान ओली के निवास पर भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण की तस्वीरें भी लगाई गई थीं।

अयोध्यापुरी क्षेत्र में स्थापित की गई भगवान की तस्वीरें
फिलहाल इन तीनों मूर्तियों को 21 अप्रैल को राम नवमी के अवसर पर काठमांडू से लगभग 180 किलोमीटर दूर मड़ी के अयोध्यापुरी क्षेत्र में स्थापित किया गया है। चुनाव से चंद दिन पहले इस तरह के धार्मिक आयोजन कर उन्होंने अपने हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूती से आगे बढ़ाया है और इसका फायदा भी उनको मिल सकता है।

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असंतुष्टों को दिखाया बाहर का रास्ता
बता दें कि धार्मिक समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद ओली ने सीपीएम-यूएमएल पार्टी के 27 असंतुष्टों को एक शोकाज नोटिस जारी कर दिया। इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित समझा जा रहा है। संविधान के अनुसार इसके परिणामस्वरूप उनकी सदन की सदस्यता भी समाप्त हो जाएगी। इन नेताओं में पूर्व प्रधान मंत्री माधव कुमार नेपाल और झलनाथ खनाल भी शामिल हैं।

इसलिए उठाया ये कदम
ओली ने यह कदम तब उठाया है, जब नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर औपचारिक रूप से सरकार से अपना समर्थन वापस लेने और सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है तथा अन्य सभी विपक्षी दलों से समर्थन का अनुरोध कर रहा है।

भगवान की शरण में ओली
5 दशक तक खुद को कम्यूनिस्ट और नास्तिक कहनेवाले केपी शर्मा ओली पिछले कुछ महीनों से मंदिरों के चक्कर काट रहे हैं। 25 फरवरी को ओली अपनी पत्नी राधिका शाक्य के साथ पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे थे और करीब एक घंटा पूजा-पाठ किया था।ओली के पूजा के दौरान करीब 1,25000 घी के दीये जलाए गए थे।

की थी बड़ी घोषणा
ओली ने मंदिर में दर्शन करने के बाद घोषणा की थी कि उनकी सरकार भगवान को दूध-जल चढ़ाने के लिए बनी चांदी की जलारी की जगह 108 किलो सोने की जलारी लगवाएगी। सरकार इसके लिए 30 करोड़ रुपए खर्च करेगी। उसके बाद उनके सांस्कृतिक मंत्री भानु भक्त आचार्या ने भी सोना खरीदने के लिए अतिरक्त 50 करोड़ प्रबंध करने के निर्देश दिए थे। बता दें कि आचार्य पशपुतिनाथ एरिया डिवलपमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं।

देश में ओली के खिलाफ प्रदर्शन
ओली ऐसे समय में हिंदू धर्म के रीति रिवाजों और अनुष्ठानों को अपना रहे हैं, जब देश मे उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं और कुछ राजनैतिक पार्टियां 2008 से पहले के हिंदू राष्ट्र के दर्जे को वापस लाने की मांग कर रही हैं। बता दें कि 2006 में नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था। उसके बाद 2008 में इस देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया था।

कार्ल मार्क्स को बता चुके हैं भगवान
 ये वही ओली हैं, जिन्होंने कुछ महीनों पहले सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें भगवान पर विश्वास नहीं है और अगर कोई भगवान पैदा हुआ था, तो वह कार्ल मार्क्स था।

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