नेपाल के हिंदू-बौद्ध के लिए खतरे की घंटी, प्रचंड संख्या में बढ़ रहे मुस्लिम-ईसाई

नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और अपरिपक्व नीतियों का परिणाम बहुसंख्य जनसंख्या पर पड़ने लगा है।

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नेपाल जनगणना 2021

नेपाल विश्व में एकमात्र हिंदू देश हुआ करता था। लेकिन राजशाही की समाप्ति के बाद आई वामपंथी सरकारों ने नेपाल के धर्मनिर्पेक्ष देश होने की घोषणा कर दी। इसका परिणाम अब जनसंख्या में दिखने लगा है, देश में ईसाई और मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, हिंदू और बौद्ध जनसंख्या पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।

जनगणना के आंकड़ों ने चौंकाया
नेपाल में हिन्दुओं और बौद्धों की आबादी क्रमशः 0.15 और 0.79 फीसदी घटी है, जबकि मुस्लिम और ईसाई समुदाय की आबादी में क्रमशः 0.69 और 0.36 फीसदी की वृद्धि हुई है। नेपाल के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वर्ष 2021 की जनगणना के आंकड़े शुक्रवार रात को जारी किए। इसके मुताबिक नेपाल में हिन्दुओं की आबादी 81.19 फीसदी है। हिन्दुओं और बौद्धों की जनसंख्या कुछ कम हुई है। नेपाल में बौद्ध 8.21 फीसदी, मुस्लिम 5.09, किरंत 3.17 और ईसाई 1.76 फीसदी हैं। वर्ष 2011 की जनगणना में 81.34 प्रतिशत हिन्दू और 09 प्रतिशत बौद्ध थे। नेपाल की कुल जनसंख्या 291 करोड़ 64 हजार 578 है।

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जातिगत आंकड़े
जनगणना के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में पहाड़ी ब्राह्मण 11.29 फीसदी, मगर 6.9, थारू 6.2, तमांग 5.62, विश्वकर्मा 5.04, यादव 4.21, राय 2.2, परियार 1.94, गुरुंग 1.86, ठाकुरी 1.7, मिजार 1.55, तेली 1.48, लिंबु 1.42, चमार 1.3 5, कुशवाहा 1.22 फीसदी हैं।

नेपाली भाषा का वर्चस्व
नेपाल की कुल जनसंख्या के 44.86 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा नेपाली है। मैथिली 11.04 फीसदी, भोजपुरी 6.24, थारू 5.88, तमांग 4.88, बजिका 3.89, दुर्गा 2.96, नेवारी 2.96, मगर धूत 2.78 फीसदी है। केवल 23 लोगों की मातृभाषा कुसुंदा है।

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