तालिबान को लेकर भारत की ये है दुविधा!

भारत तालिबान को लेकर अपनी रणनीति तय करने में जुटा है। हालांकि भारत बहुत पहले यह कह चुका है कि उसे तालिबान पर भरोसा नहीं है।

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अफगानिस्तान पर तालिबान राज कायम होने के बाद भारत सहित तमाम देश भी अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। सभी देश तालिबान राज आने के बाद वहां आने वाले बदलाव पर नजर रखे हुए हैं। भारत भी तालिबान को लेकर अपनी रणनीति तय करने में जुटा है। हालांकि भारत बहुत पहले यह कह चुका है कि उसे तालिबान पर भरोसा नहीं है।

विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अपने ताजा बयान में कहा है कि भारत अफगानिस्तान के बदलते हालात पर नजर रखे हुए है। लेकिन फिलहाल भारत का ध्यान अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा और उनकी वापसी पर है। विदेश मंत्री ने कहा कि वहां संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन के काम में भी मुश्किलें आ रही हैं।

विदेश मंत्री ने स्पष्ट की भूमिका
एस. जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच से काफी बातें की हैं। इस बारे में उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस से भी बात की है। उन्होंने बताया कि कई अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ भी इस मुद्दे पर उनकी बातचीत हुई है।

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भारत की दुविधा
ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत ने अफगानिस्तान में करोड़ों डालर का निवेश कर रखा है। अब तालिबान राज आने के बाद उन निवेशों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भारत इस बात को लेकर दुविधा में है कि उन योजनाओं का क्या होगा? भारत का मानना है कि तालिबान एक आतंकी संगठन है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में उसे मान्यता देने से भारत का कई देशों में इमेज खराब हो सकता है। इसलिए इस बारे में भारत काफी सोच-समझकर निर्णय लेगा।

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