महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार है। जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं। इसमें कांग्रेस की स्थिति को लेकर हमेशा अटकलें लगती रही है कि मनपा चुनावों में बड़ी संख्या में उसके नेता गठबंधन के दलों में शामिल हो सकते हैं लेकिन इसके पहले ही भिवंडी में एनसीपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि महाविकास आघाड़ी में कहीं ये घात का महाविकास तो नहीं है।
सोनिया गांधी ने प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों को कहा था कि सत्ता का उपभोग करो लेकन पार्टी को भी बढ़ाओ। लेकिन इसके 48 घंटे के अंदर ही इन्हीं नेताओं की नाक के नीचे से भिवंडी में उप-महापौर समेत 18 नगरसेवकों को एनसीपी ने फोड़ लिया। इसको लेकर कांग्रेस की ओर से राज्यस्तर पर कोई प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है। लेकिन जमीनीस्तर पर इसको लेकर भारी नाराजगी है। कांग्रेस में दरकिनार रखे गए संजय निरूपम ने ट्वीट कर तीखी टिप्पणी की है।
भिवंडी महानगरपालिका में कॉंग्रेस के 16 नगरसेवको को आज राष्ट्रवादी कॉंग्रेस ने अपना झंडा थमा दिया।
कॉंग्रेस की तरफ से चुप्पी।
राष्ट्रवादी कॉंग्रेस के साथ सरकार में शामिल कॉंग्रेस नेताओं का अभिनंदन।
शायद इसी दिन के लिए हमने हाथ मिलाया है।
गठबंधन धर्म का अधर्म सहते रहिए। pic.twitter.com/mgZv64INQA— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) December 23, 2020
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में बीजेपी को चेताया था कि वे अपनी पार्टी संभालें। चुनावों के समय एनसीपी और अन्य दलों को छोड़कर गए नेता कब वापस आ जाएंगे और जीतकर सरकार में सम्मिलित हो जाएंगे पता भी नहीं चलेगा। अजीत पवार की वो बात सही साबित हो रही है लेकिन यहां पर नुकसान सहनेवाली बीजेपी नहीं बल्कि कांग्रेस है। अजीत पवार की उपस्थिति में भिवंडी निजापुर महानगरपालिका के 18 कांग्रेसी नगरसेवकों ने एनसीपी का दामन थाम लिया। इसके अलावा मीरा-भाइंदर के पुराने एनसीपी कार्यकर्ताओं समेत कई स्थानीय नेताओं एनसीपी में प्रवेश किया है।
उपमुख्यमंत्री ना. @AjitPawarSpeaks व @NCPspeaks प्रदेशाध्यक्ष ना. @Jayant_R_Patil यांच्या उपस्थितीत भिवंडी महापालिकेचे उपमहापौर इम्रान अली मोहम्मद खान यांच्यासह १८ नगरसेवक,मिरा-भाईंदर महापालिकेच्या माजी महापौर निर्मला सावळे,माजी विरोधी पक्षनेते लियाकत शेख यांनी #पक्षप्रवेश केला. pic.twitter.com/pDqhuwnqRD
— NCP (@NCPspeaks) December 23, 2020
कांग्रेसी मंत्री लंबे समय से मंत्रीमंडल के निर्णयों में दरकिनार करने का आरोप लगाते रहे हैं। ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने तो ये आरोप तक मढ़ दिया था कि शिवसेना एसटी कर्मियों के वेतन के लिए पैसे दे देती है लेकिन उनके ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत लॉकडाउन काल के बिजली बिल माफी पर कोई निर्णय नहीं लेती। इसके अलावा भी कांग्रेस की ओर से सरकार के घटक दलों में उसकी अनदेखी का आरोप लगता रहा है। लेकिन अब एनसीपी द्वारा कांग्रेस को तोड़ने का कारनामा और बड़े कांग्रेस नेताओं की चुप्पी राज्य में आनेवाले दिन कांग्रेस के लिए कठिन हो जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
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