किसान आंदोलन के हाईजैकर्स!

बात ये भी है कि आखिर किसान आंदोलन में देशद्रोहियों और नक्सलवादियों की आवाज क्यों बुलंद की जा रही है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें सिर्फ तलाशने की जरुरत नहीं है, बल्कि इनपर एक्शन लेने की भी जरुरत है।

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क्या किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया गया है। क्या किसानों की अगुआई करनेवाले नेता डरे हुए हैं वर्ना क्या बात है कि सरकार के तमाम आश्वासनों के बावजूद किसान आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हैं। बात ये भी है कि आखिर किसान आंदोलन में देशद्रोहियों और नक्सलवादियों की आवाज क्यों बुलंद की जा रही है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें सिर्फ तलाशने की जरुरत नहीं है, बल्कि इनपर एक्शन लेने की भी जरुरत है।

नितिन गडकरी का रहस्योद्घाटन
केंद्रीय परविहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि किसानों के आंदोलन में देश विरोधी भाषण दनेवाले लोगों की तस्वीरें देखी गईं। उन्होंने कहा कि देश के अराजक तत्वों ने मौके का फायदा उठाने की कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक नागपुर के पास गढ़चिरौली जिला नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल है।उसमें एक व्यक्ति को नामजद किया गया था। अदालत से उसे जमानत मिल गई है। किसानों से उसका कोई संबंध नहीं है। लेकिन आंदोलन कर रहे किसानों में उसकी तस्वीर दिखी। मैं इसे समझ नहीं सका। उन्होंने कहा कि कृपया बताएं कि इसमें वो कैसे आया। कुछ तत्व ऐसे हैं जो किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश रहे हैं।

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गडकरी का दावा
गडकरी ने कहा कि सरकार सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों पर किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए तैयार है। किसानों को कानून के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। हमारी सरकार किसानों के प्रति समर्पित है और उनकी ओर से दिए गए प्रस्तावों को स्वीकार करने को तैयार है। हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।

देश को बदनाम करने की साजिश
इनसे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस बारे में गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होने दावा किया था, कि किसानों को बैकग्राउंड में दिखाकर विदेशी जमीन पर भारत को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसकी स्क्रिप्ट उमर खालिद ने लिखी थी। इसमें दो राय नहीं है कि अर्बन नक्सलियों के रुप में देश के भीतर प्रोइस्लामिक और एंटी नेशनल ब्रिगेड पूरी तरह एक्टिव है।

किसानों का मुद्दा गुम
गोयल ने कहा, किसान आंदोलन में शरजील इमाम और उमर खालिद को छोड़ने की मांग की जा रही है। इनका किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है और अब इसे नक्सल और माओवादी ताकतों ने हाईजैक कर लिया है। इन ताकतों के बीच किसान अपने मु्द्दों की बात नहीं कर रहे हैं। आंदोलन के लिए कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। किसानों के कंधों पर रखकर देश विरोधी अपना एजेंडा चला रहे हैं।

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किासानों को रहना होगा चौकन्ना
दरअस्ल शाहीन बाग, दिल्ली दंगा और शरजील -उमर के टुकड़े-टुकड़े गैंग को बचाने के लिए वामपंथी किसानों के बीच पहुंचे हैं। किसानों के आंदोलन को वामपंथियों के शातिर नेताओं ने मौके के तौर पर लिया है। ताकि राष्ट्रद्रोहियो के पाप पर पर्दा डाला जा सके। किसानों का आंदोलन इससे अलग है, उन्हें चौकन्ना रहना होगा।

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